
एटा, 9 जुलाई 2025 — उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी जहां एक ओर अपने पुराने वर्चस्व को फिर से स्थापित करने के प्रयास में जुटी है, वहीं एटा ज़िला कांग्रेस कमेटी में चल रही आंतरिक गुटबाजी पार्टी के लिए गहरी चिंता का विषय बनती जा रही है। ज़िला कांग्रेस कमेटी और शहर कांग्रेस कमेटी के बीच संवादहीनता, आरोप-प्रत्यारोप और अलग-अलग कार्यक्रमों की स्थिति पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनमानस के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर रही है।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष हाजी आशिक अली भोले और शहर अध्यक्ष विनीत पाराशर के बीच बढ़ती दूरियों ने पार्टी की जमीनी एकता को गहरा नुकसान पहुंचाया है। सूत्रों की मानें तो यह दरार केवल राजनीतिक मतभेद नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और जातिगत प्राथमिकताओं के कारण और अधिक गहरी हो गई है।
सूत्रों की माने तो हैरानी की बात हैं। कि जिला अध्यक्ष हाजी आशिक हुसैन भोले और युवा कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव इमरान अली , जिला अध्यक्ष के साले है। कांग्रेस को हाईजैक करना चाहते हैं रिश्तेदारी के रिश्ते (जीजा-साले) में भी बंधे हैं। और फिर भी कांग्रेस के मूल सिद्धांत — सर्वधर्म समभाव और समावेशिता — के विपरीत जाति आधारित गुटबाजी का आरोप लगना पार्टी की छवि को सीधा नुकसान पहुंचा रहा है।
आईवाईसी (इंडियन यूथ कांग्रेस) से जुड़े पुष्पेंद्र बघेल, जो हाल ही में 94 वोटों युवा कांग्रेस विधान सभा अध्यक्ष मारहरा से निर्वाचित हुए, उन्हें भी इस आंतरिक कलह का शिकार होना पड़ा। सोशल मीडिया जिला अध्यक्ष तसव्वुर द्वारा शपथ ग्रहण समारोह में अपमानित किए जाने की घटना से आहत होकर पुष्पेंद्र बघेल एडवोकेट युवा नेता द्वारा इस्तीफा देने की चर्चा तेज हो गई है।
कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि अगर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और पार्टी हाईकमान समय रहते हस्तक्षेप नहीं करते, तो एटा में कांग्रेस की पकड़ और कमजोर हो सकती है। सूत्र यह भी बताते हैं कि जिलाध्यक्ष भोले पर जातिवादी राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है, जो कांग्रेस की सेक्युलर छवि से पूरी तरह मेल नहीं खाता।
यदि शहर और ज़िला इकाई के बीच यह तकरार जल्द खत्म नहीं हुई, तो यह एटा में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे के लिए एक चेतावनी साबित हो सकती है।