
वाह रे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम
लखनऊ —– महाज्ञानी अनुभवहीन भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2017 बैच की अधिकारी रिया केजरीवाल ने जब से मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशिका की कुर्सी संभाली है संविदाकर्मियों के भूखों मरने के दिन आ गए हैं जब कि पिछले छः वर्षों से ऐसी कोई भी समस्या नहीं थी महा घमंडी अनुभवहीन नाक पर गुस्सा रखने वाली तुनक मिजाज,प्रबंध निदेशक महोदया कर्मचारी नेताओं को धमकाने वाली जनता की समस्याओं को लेकर आए पत्रकारों से ना मिलने वाली चुनिंदा पत्रकारों से मिलने वाली व अन्य पत्रकारों से इनसे से मिलने से पूर्व अपनी सार्वजनिक संबंध स्थापित करने वाली अधिकारी के माध्यम से पत्रकारो से उनसे सवाल पहले बताने के लिए दबाव बनाती है उनके कथनानुसार कि पहले सवाल बताओ फिर महोदया पत्रकार से मिलने के बारे में विचार करेगी । अगर पत्रकार अपने प्रश्न नहीं बताते तो उनको अपमानित किया जाता व उनके वाट्सएप नम्बर वा फोन नम्बरो को भी ब्लाक कर दिया जाता है ना फोन और वाट्सएप पर कोई संवाद होगा ना ही कोई परेशानी वैसे ही जैसे जैसे समस्या को देख कर आंखे बंद कर लेने से समझना कि समस्या खत्म हो गई है वैसे खुद अवैध रूप से विराजमान महाज्ञानी घमंडी तुनक मिजाज अनुभवहीन प्रबंध निदेशिका आपको दर्शन नहीं देगी इनके कार्यकाल में संविदा व विभागीय कार्यदाई संस्थाओं के मालिकों को भी भुगतना नहीं मिल रहा और वो भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं शायद महोदया को यह नहीं मालूम की जिस पद पर साम-दाम-दंड-भेद की नीति से नियुक्ति पाने में सफल हुई है उस पद पर विराजमान होने के लिए न्यूनतम 15 वर्ष का कार्य अनुभव होना आवश्यक है और आप तो मात्र कुछ ही वर्ष का अनुभव है आप तो उस अनुभव के आसपास भी नहीं फटकती है परंतु यह तो ऊर्जा विभाग है यहां एक बिजली खरीद करने वाली नोडल एजेंसी सारे वितरण निगमो पर राज करती है यहां पर सारे नियम कानून खूंटी पर टांगकर चांदी के जूते के जोर पर काम कर जा रहा है कार्यदाई संस्था का स्वामी साम दाम दंड भेद करके इनसे मिल लेता है उसको तो भुगतान हो जाता है वरना दूसरी कार्यदाई संस्था के स्वामी उनके दफ्तर के चक्कर ही लगाते रहते हैं और महोदय से मुलाकात नहीं हो पाती हर समय इनसे मिलने जाने पर यही पता लगता है कि महोदय मीटिंग में है या शक्ति भवन गई हुई है कपट पूर्ण हथकंडे अपना करके कुर्सी पाने वाली अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन की नजदीकी व सबसे प्रिय प्रबंध निदेशिका महोदया को यह बताना जरूरी है कि कुर्सी तो मिल जाएगी परन्तु कार्य अनुभव और कार्य करने का शिष्टाचार अपने से उम्र में बड़े अनुभव में बड़े अधिकारियों से, पत्रकारों से व समान्य लोगों से बात कैसे करते हैं, व्यवहार कैसे करते हैं इसका समान्य शिष्टाचार कहां से लाएंगी ?
चर्चा तो यहां तक है कि निदेशक वित्त और निदेशक कार्य प्रशासन ने उनके इसी दुर्व्यवहार के कारण अपने पदों से इस्तीफा दे दिया इससे पूर्व संविदाकर्मी जब अपनी मांग को लेकर मध्यांचल मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे तो उनके एक वरिष्ठ नेता को बुलाकर वार्ता करने की आड़ में महोदय धमकाने लगी और कहने लगी कि मैं तुम्हें व्यक्तिगत रूप से देख लूंगी और आज इन्हीं की अनुभवहीनता के कारण मध्यांचल में संविदा कर्मियों से लेकर अन्य कार्य करने वाली संस्था के स्वामियों व नियमित कर्मचारी तक को वेतन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है इनका घमंड तो इतना है कि पूर्व प्रबंध निदेशक मध्यांचल द्वारा पारित आदेश को इन्होंने मानने से ही इनकार कर दिया । इससे साबित होता है कि अनुभवहीन प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में जब-जब संचालन गया तब तब उस संस्था का बेड़ा गर्क हो गया।
30/6/2025 के जिस आदेश के जरिए संविदा कर्मियों के वेतन देने का आदेश दिया गया है उस सम्बन्ध में पत्र तो 3/7/2025 को प्राप्त हुआ है तो इस सम्बन्ध में आदेश 30/6/2025 को कैसे निर्गत किया जा सकता है यानि महाज्ञानी को भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास पहले ही हो जाता है और कोई भी समस्या होने से पूर्व व शिकायत होने से पूर्व ही आदेश जारी कर देती है वाकई एक अदभुत कौशल इन महोदया के पास है इसी गुण के कारण इनको तो भारत के रक्षा मंत्रालय में नियुक्ति दे देनी चाहिए जिससे कि दुश्मन देशों की तरफ से होने वाली कोई भी गतिविधि इनको पहले से मालूम हो जाएगी और यह तुरन्त कार्यवाही करते हुए हजारों लोगों की अमूल्य जीवन बचाने का काम करेगी आतंकवादी हमले भी नहीं होंगे यानी कि इनकी इस प्रतिभा का पूर्ण रुप से देश हित में उपयोग होने सकेगा । लेकिन यहां पर नियुक्ति क्यों हुई बहुत सोचने पर समझ में आया कि इनकी नियुक्ति इसी गुण के कारण हुई है कि भविष्य में निजीकरण के विरोध में होने जा रही कार्य बहिष्कार व जेल भरो आंदोलन में क्या क्या होगा महोदया अपने उच्च अधिकारियों को पूर्व में बता देगी जिससे कि जनता को कोई दिक्कत नहीं होगी। खैर *युद्ध अभी शेष है*
अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह प्रबंध संपादक समय का उपभोक्ता राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ