भ्रष्टाचार पर प्रशासन की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों का मौन समर्थन, जनता बेहाल

जिले में सरकारी दफ्तर बने दलाली व भ्रष्टाचार का अड्डा


एटा। सरकारी विभागों में सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, दलाली और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर जन जनप्रतिनिधियों ने आंखें बंद कर रखी हैं या फिर ऐसा भी हो सकता है जानबूझकर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के बड़े-बड़े दावे जिले में हवा-हवाई साबित हो रहे हैं, डंके की चोट पर सरकारी विभागों में बैठे अधिकारी और कर्मचारी जनता की जेब काटने में लगे हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों से लेकर बड़े अधिकारी आंखें बंद करके भ्रष्टाचार का तमाशा देख रहे हैं।
भ्रष्टाचार से परेशान जनता अब दबी जुबान में जनप्रतिनिधियों और सरकार को कोस रही है लेकिन फिलहाल भ्रष्टाचार से मुक्ति का कोई रास्ता जनता को नहीं दिखाई दे रहा है।
तहसीलों से लेकर दूसरे विभागों में गरीब जनता लूट रही है बिना चढ़ावा चढ़ाए कोई कार्य करना नामुमकिन हो गया है, सरकारी विभागों में प्रत्येक कार्य पर कितना चढ़ावा चढ़ेगा तब कार्य होगा वो तय कर दिया गया है।
तहसीलों से लेकर दूसरे विभागों में दलालों का दबदबा कायम है विभागीय कार्य कराना है तो पहले दलालों से संपर्क करो नहीं तो चक्कर लगाते-लगाते चकरघिन्नी बना दिए जाओगे यह नीति जनता के लिए मुसीबत बन चुकी है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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