
पवन खेड़ा जी Pawan Khera कहते हैं कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत की बेटी सुनीता विलियम्स का भव्य स्वागत कर रहे हैं। करना भी चाहिए, लेकिन यह स्वागत उनकी 2007 और 2013 की भारत यात्राओं से बिल्कुल अलग लग रहा है। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनका रवैया सुनीता विलियम्स के प्रति उत्साहजनक नहीं था।
2007 में जब सुनीता विलियम्स भारत आईं और अपने पैतृक गाँव झूलासन (गुजरात) गईं, तब पूरे देश ने उनका भव्य स्वागत किया। लेकिन गुजरात सरकार ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को गंभीरता से नहीं लिया। यहाँ तक कि राज्य सरकार ने उनके सम्मान में कोई बड़ा आयोजन नहीं किया। इसका एक मुख्य कारण उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि थी, सुनीता विलियम्स गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की रिश्तेदार हैं। हरेन पांड्या तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी की नीतियों के मुखर विरोधी थे और 2003 में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी हत्या हुई थी।
2013 में जब सुनीता विलियम्स एक बार फिर भारत आईं, तब भी गुजरात सरकार का रवैया पहले जैसा ही रहा। नरेंद्र मोदी उस समय मुख्यमंत्री थे, लेकिन उन्होंने सुनीता विलियम्स के स्वागत में कोई विशेष आयोजन नहीं किया।ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मोदी सरकार ने जानबूझकर सुनीता विलियम्स की उपलब्धियों को नज़रअंदाज़ किया क्योंकि वे हरेन पांड्या के परिवार से थीं और उनके परिवार ने पांड्या की हत्या की निष्पक्ष जाँच की माँग की थी।
लेकिन अब, जब मोदी प्रधानमंत्री हैं, तो उनका रुख भी बदला-बदला सा लगता है। आज वे भारत में सुनीता विलियम्स का ज़ोरदार स्वागत कर रहे हैं। सुनीता ने वह मुकाम हासिल किया है जिस पर हर भारतीय को गर्व होगा। वह इतनी बड़ी शख्सियत बन चुकी हैं कि अब मोदी जी चाहें या न चाहें, उन्हें उनके स्वागत में पत्र लिखना ही पड़ा।
सुनीता विलियम्स का हम सभी भारतीय तब भी सम्मान करते थे, आज भी करते हैं। वेलकम बैक, सुनीता!