“चाणक्य- चंद्रगुप्त- बिंदुसार- अशोक महान का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”

चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य व चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार एवं सम्राट अशोक महान एवं अर्थशास्त्र के जन्मदाता आचार्य चाणक्य के आदर्श से ही विकसित राष्ट्र भारत की कल्पना होगी साकार।
वर्तमान समय में देश में चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के त्याग और समर्पण के साक्ष्य के उत्कृष्ट इतिहास मिटाने की तैयारी
“चाणक्य- चंद्रगुप्त- बिंदुसार- अशोक महान का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”

नई दिल्ली।
जब यूनानी आक्रमणकारी सेल्यूकस सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से हार गया और उसकी सेना बंदी बना ली गयी तब उसने अपनी अतिसुंदर पुत्री हेलेन के विवाह का प्रस्ताव सम्राट चन्द्रगुप्त के पास भेजा।

हेलेन,सेल्यूकस की सबसे छोटी अतिसुंदर पुत्री थी।
उसके विवाह का प्रस्ताव मिलने पर आचार्य चाणक्य ने सम्राट चन्द्रगुप्त से उसका विवाह कराया था।
पर उन्होंने विवाह से पहले हेलेन और चन्द्रगुप्त से कुछ शर्ते रखीं थीं,जिस पर ही उन दोनों का विवाह हुआ था।
पहली शर्त यह थी कि उन दोनों के संसर्ग से उत्पन्न संतान उनके राज्य की उत्तराधिकारी नहीं होगी!
और कारण बताया कि हेलेन एक विदेशी महिला है, भारत के पूर्वजों से उसका कोई नाता नहीं है।
भारतीय संस्कृति से हेलेन पूर्णतः अनभिज्ञ है।

दूसरा कारण बताया की हेलेन विदेशी शत्रुओं की बेटी है। उसकी निष्ठा कभी भी भारत के साथ नहीं हो सकती।

तीसरा कारण बताया की हेलेन का बेटा विदेशी माँ का पुत्र होने के नाते उसके प्रभाव से कभी मुक्त नहीं हो पायेगा और भारतीय माटी, भारतीय लोगों के प्रति कभी भी पूर्ण निष्ठावान नहीं हो पायेगा।
एक और शर्त आचार्य चाणक्य ने हेलेन के सामने रखी थी, कि वह कभी भी चन्द्रगुप्त के राजकार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी और राजनीति और प्रशासनिक अधिकार से पूर्णतया दूर रहेगी।
परन्तु गृहस्थ जीवन में हेलेन का पूर्ण अधिकार होगा।

विचार कीजिए .. भारत ही नहीं विश्वभर में आचार्य चाणक्य जैसा कूटनीतिज्ञ और महान नीतिकार राजनीतिज्ञ आज तक कोई दूसरा नहीं हुआ इतना त्याग के बाद भी आज चंद्रगुप्त मौर्य के इतिहास को मिटाने की साजिश और आचार्य चाणक्य का अपमान इस भारत देश में हो रहा है।

किन्तु दुर्भाग्य देखिए! आज देश को वर्तमान में ऐसे ही नेताओं से पाला पड़ा है जो कभी भी भारत और भारतीय नागरिकों के हितों की चिन्ता नहीं करते,
विदेशों में जाकर सदैव भारत एवं भारतीयों के विरुद्ध निरन्तर जहर उगलते रहते है और भारत में आकर मसीहा बनते हैं ऐसे नेताओं की जांच होनी चाहिए।

एके बिंदुसार ने साफ तौर पर बताया कि मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त भारतीय इतिहास के सबसे महान शासकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने भारत वर्ष पर अनेक वर्षों तक शासन किया था। चन्द्रगुप्त ने सबसे पहले अखंड भारत का स्वप्न देखा था और वे इसे पूरा करने में सफल भी रहे । चन्द्रगुप्त मौर्य की तीन पत्नियां थीं। इनके नाम दुर्धरा, हेलेना और चंद्र नंदिनी हैं। दुर्धरा से चन्द्रगुप्त मौर्य को एक पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम बिन्दुसार था। चन्द्रगुप्त मौर्य के दूसरे बेटे का नाम जस्टिन बताया जाता है लेकिन उसका कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है यह सिर्फ चंद्रगुप्त मौर्य के इतिहास को कलंकित करने के लिए कुछ विद्रोही इतिहासकारों की लेखनी के द्वारा बताया जाता है जो कि हेलेना का पुत्र था।

चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद उनका बड़ा पुत्र बिंदुसार सिंहासन पर बैठा। अपने पिता की तरह ही बिन्दुसार भी एक प्रतापी योद्धा और चतुर शासक ही था। चन्द्रगुप्त की तरह ही बिन्दुसार भी जिज्ञासु था और विद्वानों तथा दार्शनिकों का आदर करता था। ऐथेनियस के अनुसार बिन्दुसार ने एण्टियोकस (सीरिया का शासक) को एक यूनानी दार्शनिक भेजने के लिए लिखा था। दिव्यावदान की एक कथा के अनुसार आजीवक परिव्राजक बिन्दुसार की सभा को सुशोभित करते थे। कहा जाता है कि चाणक्य ने 16 राज्य के राजाओं और सामंतों का नाश किया और बिन्दुसार को पूर्वी समुद्र से पश्चिमी समुद्र पर्यन्त भू-भाग का अधीश बनाया। इतिहासकार मानते हैं कि बिन्दुसार ने भारत पर कुल 27 वर्षों तक शासन किया। बिन्दुसार की मृत्यु को लेकर विद्वानों में आपस में मतभेद है। परन्तु अधिकतर इतिहासकार इनकी मृत्यु की तारीख ईसा पूर्व 270 में हुई मानते हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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