झोपड़ियों की आग कहां से आती है–
जब तक इसका पता नहीं चलेगा तब-तक बेटियां और झोपड़ियां यूं ही जलती रहेगी—
आग हमेशा झोपडी़ में ही क्यों लगती है–
और झोपडी़ है तो आग तो लगनी ही है–
- क्योंकि ईंटें आग इतनी जल्दी कहां पकड़ती है–
सरकारी आवास तो दसियों साल से बंट रहे हैं फिर भी झोपड़ी में बेटियां और गरीब का जलना क्यों नहीं रूका क्योंकि आग माचिस से निकल कर आदमी में जो प्रवेश कर चुकी है,सरकारें लाख अच्छा क्यों न करें पर गरीब के अधिकार अमीरों के आंगन में ही फलते फूलते रहे हैं इतनी जल्दी ये आग खत्म कैसे हो सकती जब तक कि आग आदमी की नियत से न निकाली जाए और पानी का का संगम,सरकार डाल डाल मैं रह जाती है और कार्यकर्ता पात पात में आज एसे इंसान हैं जिन्हें मकान तो छोड़िए एक शौचालय तक नशीव नहीं हो सका इसमें किसकी कमी है।
दीप्ति,✍️