रीवा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) संभाग क्रमांक 01 के कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान एक बार फिर फर्जी कोटेशन घोटाले में फंसते नजर आ रहे हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी की सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों ने विभागीय भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। आरटीआई दस्तावेजों के अनुसार, निविदा प्रक्रियाओं में खाली कोटेशन पत्रों पर हस्ताक्षर और सील लगाकर, बाद में रेट जोड़कर, खासमखास ठेकेदारों और नेताओं के चहेतों को लाभ पहुंचाया गया। शिकायत के साथ प्रस्तुत साक्ष्यों में कई कोटेशन ऐसे हैं, जिनमें दर/रेट के कॉलम खाली हैं, लेकिन फिर भी इन्हें सत्यापित कर निविदा के लिए चुना गया।
भ्रष्टाचार की प्रमुख बातें:
- खाली कोटेशन पर हस्ताक्षर और सील लगाकर बाद में मनमाने रेट भरने का आरोप।
- विधायकों, सांसदों और जनपद अध्यक्षों के करीबी दलालों को उपकृत करने की साजिश।
- ऑफलाइन निविदा प्रक्रिया में टेबल के नीचे से लेन-देन।
- सरकारी कार्यालय को नेताओं और दलालों का अड्डा बनाने का आरोप।
आरटीआई में उजागर कुछ प्रमुख कार्यों में पीसीसी रोड, ग्रेवल रोड निर्माण और स्कूल भवन निर्माण जैसे कार्य शामिल हैं, जिनमें कोटेशन खाली पाए गए। यह प्रक्रिया न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। मामले की शिकायत कमिश्नर रीवा संभाग और जिला सीईओ को की गई है। कमिश्नर ने अधीक्षण यंत्री को जांच के निर्देश दिए हैं। लेकिन शिकायतकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने सवाल उठाया है कि क्या यह जांच सिर्फ पत्राचार तक सीमित रहेगी, या दोषियों पर कार्रवाई होगी?
जनता का सवाल:
- क्या फर्जी कोटेशन घोटाले में कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान पर कार्रवाई होगी? 2. क्या “जीरो टॉलरेंस” की नीति भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों में लागू होगी? 3. क्या विभाग के अन्य अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल हैं?
यह घोटाला केवल रीवा संभाग तक सीमित नहीं है। अन्य संभागों में भी इसी तरह की प्रक्रियाओं की जांच की मांग जोर पकड़ रही है।