रोडवेज का निजीकरण कर्मचारियों की बदोलतयत्रियों की बिक्री, हेल्प लाइन नम्बर सो पीस बने

कोसाम्बी। आगरा। उत्तर प्रदेश पथ परिवहन निगम का निजीकरण जल्द ही उनके कर्मचारियों की बदोलत निजीकरण हो जायेगा। ऐसी सम्भावना कोसाम्बी बस स्टेंड पर हुई एक घटना से साफ दिखता है।
शनिवार की शाम पांच बजे शंकर देव नामक एक यात्री कौशांबी बस स्टैंड ऐसी बस की जानकारी फोन पर कर पंहुन्चा। साहिबाबाद डिपो की यू पी 78, 7848नम्बर की बस में साढ़े पांच बजे परि चालक से पूछ कर आगरा जाने के लिए बैठ गया। सवा छः बजे बस को चालक बस रद की कह कर प्लेटफार्म से हटाने लगा और यात्रियों से कहा साढ़े आठ बजे बाली बस में बैठ जाओ। उस बस के स्टाफ् से साहिबाबाद डिपो का स्टाफ् बतराता दिखा था। बस में सवार यात्री ने कहा वो पांच बजे परिचलक से पूछकर बस में बैठा वह हार्ट का रोगी है वह साढ़े आठ बजे की बस से नहीं जा सकता। तो स्ताफ ने बदतमीजी कर उतार दिया। जब बस स्टैंड के शिकायत केंद्र पर बात की तो उन्होंने कुछ सुनने से इनकार किया। तब जो दूसरी बस प्लेतफ़ार्म पर आईं जिसमें वो स्ताफ बिठा गया था कोशाम्बी डिपो की थी। उसके अंदर लिखे कौशांबी के ए आर एम के नम्बर 87260054,5पर बात की तो उन्होंने 872600544 नम्बर देकर कहा इनसे बात कीजिये। ये नम्बर साहिबाबाद के ए आर एम का था। जिन्होंने फोन रिसेव करना भी अपनी तोहिनी समझा। उल्टे कई बार प्रयासों केबाद सलाह दी आप टोल फ्री नम्बर पर बात कीजिये। उस नम्बर पर तो बेचारे यात्री को पूरे एक घँटेबाद भी सफलता नहीं मिली। मजबूरी बस उस यात्री को कोशम्बी डिपो की बस सही यात्रा करनी पड़ी। ब बस चली तब साहिबाबाद डिपो का परिचलक् कोशम्भि डिपो की भी से मिल कुछ लें दें भी करके गया।
उस बस के परिचलक् ने एहसान जताते हुए आगरा कु टिकिट दी। जिस पर बहत्तर रुपये बाकी बता टिकिट दिया। इस बस मे भी उतजी ही सवारी तीन जितनी साढ़े छः वाली में थीं। यानी आधा दर्जन से ज्यादा। गेट से नोएडा तक की फिर एसप्रेसे वे तक के कई स्थानों की सवारिया बिना टिकिट यात्री बिठा उनसे किराया बसूल निगम को घाटा दिया।
बेचारे उस यात्री पर कष्ट की इंतहा तो तब हो गई जब हुई जब उसे आगरा के बजाए कुबेर पुर पर रोते हुए बिना बकाया चुकाए ही कोषम्बी डिपो की बस का स्टाफ् जबरन उतार भाग खड़ा हुआ। रात साढ़े १२बजे उस हृदय रोगी की हालत क्या रही होगी की कल्पना ही दुःखद रहीं होंगी।
बस स्टेंड कौशांबी की हालत पर उक्त यात्री ने कहा है कि जो नम्बर बस और इंक्वरी पर अंकित हेल्प नम्बर हैं बेकार हैं। कोई भी इन नबरों का लाभ नहीं ले पाता। उलट बे फालतू खर्च विभाग पर पड़ता है। इस तरह की घटना से साफ दिखता है बसों के स्टाफ् डग्गा मार वाहनों को बढ़ा वा देता दिखता है। साथ ही लम्बी दूरी बाली बस सेवा को भी निजी बस बालों की नीति के तहत रद कर यात्रियों की बिक्री सीधे तोर पर कर दी जाती है।
पीड़ित यात्री ने बताया है कि उस ने शासन को लिखे पत्र में कहा है कि बस बिना कारण बस कैंसिल कर हड़कम्प खड़ा कर देने के साथ अवेध उगाही को भी बढ़ावा मिलता है। लम्बी दूरी की बस को प्रारम्भिक सेंटर से ही रद नहीं किया जा सकता।
शाशन को शिकायत पुस्तिका जिसे परिवाद पुश्तिका बसों में उपलब्ध करवानी चाहिए। जिससे शिकायत तो स्तर पर किया जा सके ।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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