कांग्रेस ने अपने कितने नेताओं को दिया यह सम्मान, BJP का क्या इतिहास?भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान- ‘भारत रत्न’ बीते दो हफ्तों में चर्चाओं का हिस्सा बना रहा है। पहले संसद में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के भारत रत्न के मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस को जमकर घेरा।अब इसी भारत रत्न के मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इस बार जिस हस्ती को भारत रत्न दिए जाने की मांग जोर-शोर से उठ रही है, वह हैं दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। इसे लेकर जहां कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मुहिम छेड़ दी है, वहीं तेलंगाना कांग्रेस ने तो मनमोहन सिंह को भारत रत्न दिए जाने की मांग से जुड़ा प्रस्ताव तक पारित कर दिया।
पहले बाबासाहेब आंबेडकर और अब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर हो रही भारत रत्न की चर्चाओं के बीच यह जानना अहम है कि आखिर भारत में दिया जाने वाला यह सम्मान है क्या? इसे कैसे और किसे दिया जाता है? किन नेताओं को और किन सरकारों के अंतर्गत यह सम्मान दिया गया है? आइये जानते हैं…
क्या है भारत रत्न सम्मान?
भारत रत्न देश का सर्वोच्च ‘नागरिक’ सम्मान है। इसकी स्थापना 1954 में हुई थी। इसे किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे व्यक्ति को सर्वोत्तम स्तर की सेवा/प्रदर्शन के लिए सम्मान के तौर पर दिया जाता है। इस सम्मान के साथ कोई मौद्रिक (वित्तीय) अनुदान नहीं दिया जाता। हालांकि, इससे सम्मानित होने वाले व्यक्ति को एक सोने का मेडैलियन मिलता है, जो कि पीपल की पत्ती के आकार का होता है। इसमें चांदी से देवनागरी लिपि में भारत रत्न लिखा होता है। इसके दूसरे हिस्से के केंद्र में राष्ट्रीय प्रतीक- अशोक स्तंभ और सत्यमेव जयते लिखा होता है।
किसे और कैसे मिलता है भारत रत्न सम्मान, क्या हैं नियम?
भारत-रत्न सम्मान के लिए सभी व्यक्ति जाति, व्यवसाय, पद और लिंग के भेदभाव के बिना पात्र हैं।
भारत रत्न के लिए सिफारिश स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती है। इसके लिए कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं है।
प्रधानमंत्री इस सम्मान को देने के लिए किसी भी व्यक्ति से सलाह या परामर्श करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, पहले से चली आ रही परंपरा के तहत गृह मंत्रालय इसके लिए कुछ नाम प्रस्तावित करता है जिसे बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय को बढ़ाया जाता है। यानी गृह मंत्रालय इस सम्मान के लिए नोडल (प्रमुख) मंत्रालय है।
वार्षिक स्तर पर इस सम्मान को दिए जाने की संख्या एक वर्ष विशेष में अधिकतम तीन तक ही सीमित है। इस पुरस्कार के प्रदान किए जाने के समय प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति का हस्ताक्षरित एक प्रमाणपत्र और एक मेडैलियन दिया जाता है।
क्या शीर्षक के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है भारत रत्न
संविधान के अनुच्छेद 18 (1) के अनुसार इस सम्मान को प्राप्तकर्ता के नाम के आगे या पीछे नहीं लिखा जा सकता। अगर कोई सम्मान पाने वाला व्यक्ति जरूरी समझता है तो वह अपने जीवनवृत/लेटरहेड/विजिटिंग कार्ड आदि में ‘राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित’ या ‘भारत रत्न प्राप्तकर्ता’ लिख सकता है।
अब तक किन लोगों को मिला है यह सम्मान
भारत रत्न सम्मान अब तक देश की 53 हस्तियों को दिया गया है। इनमें एक बड़ा हिस्सा नेताओं का है। नेहरू-गांधी परिवार के सभी प्रधानमंत्री- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को यह सम्मान मिल चुका है। दो प्रधानमंत्रियों- लाल बहादुर शास्त्री और राजीव गांधी को यह सम्मान मरणोपरांत मिला है।
1954 में भारत रत्न की स्थापना के बाद यह सम्मान सबसे पहले पूर्व गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को मिला था। वे तब मद्रास के मुख्यमंत्री पद पर थे। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन (उपराष्ट्रपति रहते हुए), जवाहरलाल नेहरू (पीएम रहते हुए), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत (गृह मंत्री रहते हुए), बीसी रॉय (पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहते हुए), यूपी विधानसभा के पूर्व स्पीकर पुरषोत्तम दास टंडन (राजनीति में सक्रिय न रहने के बाद), पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन (उपराष्ट्रपति रहते हुए), इंदिरा गांधी (प्रधानमंत्री रहते हुए), पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी (राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म होने के बाद) यह सम्मान पाने वाले मुख्य नेताओं में से हैं। इसके अलावा 1997 में गुलजारी लाल नंदा को यह सम्मान दिया गया। गौरतलब है कि यह सभी नेता किसी न किसी स्वरूप में आजादी के पहले या बाद में कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे।
मरणोपरांत किसे मिला है भारत रत्न?
भारत रत्न को मरणोपरांत दिए जाने का चलन नहीं था। हालांकि, विशेष और विशिष्ट तौर पर योग्य लोगों को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा चुका है। फिलहाल मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान 18 लोगों को दिया जा चुका है। इनमें कांग्रेस के नेता रहे के. कामराज (कांग्रेस के बंटवारे के बाद इंदिरा गांधी के विपक्ष में खड़े कांग्रेसी धड़े के साथ रहे) को 1976 में आपातकाल के दौरान मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया। इसके अलावा राजीव गांधी सरकार ने 1988 में एआईएडीएमके के संस्थापक एमजी रामचंद्रन को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।
इसके अलावा लाल बहादुर शास्त्री, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर, मोरारजी देसाई, पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कर्पूरी ठाकुर को यह सम्मान मरणोपरांत ही दिया गया।
पिछले हफ्ते बाबा साहेब आंबेडकर के भारत रत्न पर चर्चा क्यों उठी?
इनमें डॉ. आंबेडकर को भारत रत्न दिए जाने के मुद्दे पर बीते हफ्तों काफी सियासत हुई। भाजपा ने इसे लेकर कांग्रेस पर वार किया। दरअसल, बाबासाहेब को यह सम्मान किसी कांग्रेस सरकार ने नहीं, बल्कि 1990 में प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार ने दिया था। जनता दल के नेता राम विलास पासवान, नीतीश कुमार और शरद यादव ने इस सम्मान को डॉ. आंबेडकर को दिए जाने को लेकर जमकर आवाज उठाई थी। भाजपा तब इस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी। इसी मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए भाजपा ने आरोप लगाया था कि पूर्व की कांग्रेसी सरकारों ने बाबासाहेब की अनदेखी की।
मोदी सरकार में किस-किसको दिए गए हैं भारत रत्न?
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में 10 हस्तियों को भारत रत्न दिए जा चुके हैं। इनमें बड़े नेताओं से लेकर समाजसेवियों तक के नाम हैं। नेताओं की बात करें तो भाजपा सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी, मदन मोहन मालवीय को 2015 में, भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक नानाजी देशमुख और कांग्रेस के प्रमुख नेता प्रणब मुखर्जी को 2019 में यह सम्मान दिया। इसके अलावा कर्पूरी ठाकुर (जनता दल), लालकृष्ण आडवाणी (भाजपा), पीवी नरसिम्हा राव (कांग्रेस), चौधरी चरण सिंह (पूर्व कांग्रेस नेता और लोकदल के संस्थापक) को 2024 में भारत रत्न से सम्मानित कर चुकी है।
नेताओं के अलावा और किन हस्तियों को मिला है भारत रत्न?
इसके अलावा कला क्षेत्र से भूपेन हजारिका (2019) और कृषि क्षेत्र से एमएस स्वामीनाथन (2024) को भी भाजपा सरकार ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है। इससे पहले कांग्रेस और अन्य सरकारों ने भी अलग-अलग हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया। इनमें 2014 में वैज्ञानिक सीएनआर राव, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (भारत रत्न पाने वाले पहले खिलाड़ी), 2009 में शास्त्रीय संगीत के प्रमुख चेहरे पंडित भीमसेन जोशी, 2001 में गायिका लता मंगेशकर, शहनाई वादक बिस्मिल्ला खान, 1999 में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन और सितारवादक रवि शंकर के नाम शामिल हैं।
इससे पहले भारत रत्न 1998 में कर्नाटक संगीत की महान गायिका एमएस सुब्बुलक्ष्मी, 1997 में स्वतंत्रता सेनानी अरुणा असफ अली, वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम आजाद, 1992 में जेआरडी टाटा और फिल्मकार सत्यजीत रे भी यह सम्मान पा चुके हैं। 1990 में नेल्सन मंडेला, 1987 में खान अब्दुल गफ्फार खान, 1980 में मदर टेरेसा (भारत रत्न पाने वाले विदेशी नागरिक) को यह सम्मान दिया गया। वहीं 1983 में विनोबा भावे, 1963 में संस्कृत के विद्वान वामन काने, 1958 में सामाजिक कार्यकर्ता और महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले ढोंडो केशव कर्वे, 1955 में एम. विश्वेश्वरैया और 1954 में वैज्ञानिक सीवी रमण के नाम शामिल हैं।