
एटा,बार एसोसिएशन एटा के चुनाव के लिए कल मध्य रात्रि से वोटो के लिए जो उठा पटक हुई है एक युद्ध के समान रही।
बार एसोसिएशन के दो पदों के लिए सबसे अधिक जद्दोजहद रहती है. अध्यक्ष व महासचिव.!!
इन दो पदों के लिए अध्यक्ष पद पर तीन उम्मीदवार है, महासचिव पद के लिए चार उम्मीदवार मैदान में मौजूद है।
कल रात्रि से जिस तरह से मतदाताओं में चिंतन मंथन व छोटे बड़े मतदाताओं का एक दूसरे के मन की बात जानने की होड़ दिखाई दें रही थी यह चिंतित करने का खेल नहीं था लेकिन पूरी रात इसी खेल के इर्द गिर्द यह चुनाव नाचता दिखाई दिया है. लेकिन भूतल में कौन है यह कोई नहीं जान पाया कि कौन क्या सोच रहा है।
क्या हार जीत का पासा लोधी वोटर के हाथो में रह गया!
बार एसोसिएशन के चुनाव में सबसे बड़े वोटो में ब्राह्मण, लोधी, यादव,क्षत्रिय वोटर के मतदान पर है,ज़ब कि अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण और यादव ने अपने अपने प्रत्याशी उतार रखे है. महासचिव पद पर शाक्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय समाज प्रत्याशी मैदान में अपने-अपने दावों के साथ खडे दिखाई दें रहें है।
कल रात से समीकरण बदले- बदले से नजर भी आये है वही हार जीत का आंकड़ा किसी का बढ़ता दिखाई दिया है तो कुछ दिन पहले चढ़े हुए प्रत्याशी कल रात्रि भोज के बाद बड़ी तेजी के साथ उतर भी गए है।
इस समय अध्यक्ष पद पर आदित्य मिश्रा व रमेश यादव और संदीप के साथ मतदाताओं द्वारा खेल कई दिनों से खेला जा रहा है जबकि कुछ ऐसे भी मतदाता है जो प्रत्याशी के साथ प्रचार करते देखे गए. लेकिन उसी के साथ प्रचार तो उसी को हराने का गुणा- भाग लगा रहें थे। इस सीट पर रमेश यादव को ऊपर से नीचे के क्रम में रखे तो बेहतर ही होगा क्यों कि मतदाता इस पद पर खड़े तीनो प्रत्याशियों के बीच उलझ गए है किन्तु 2024 के लोकसभा चुनाव का असर भी बार एसोसिएशन के चुनाव पर पड़ेगा ही. कुछ चंद् अधिवक्ताओ ने PDA चलाने की महज कोशिश तो की है लेकिन विद्धानो के नाम से परिचित इस संघठन को भली भांति पता है कि हितकर कौन है और कौन नहीं!!
PDA को कुचल दिया गया है 👇
PDA लगभग भंग हो चूका है, तो ऊपर की सीट पर PDA नहीं चलेगा!ज़ब ऊपर की यादव ब्राह्मण में से एक को चुनने की बारी आएगी तो शायद… पत्थर से ईट गुलगुली वाली कहावत सही साबित हो. क्योंकि अधिवक्ता संघठन में मौजूद OBC और SC समाज मुश्किल में है कि PDA को ऊपर वरीयता दें की नहीं!!क्योंकि OBC,SC पहले भी यादव प्रत्याशी को कम ही मानता है. फिर बेहद जटिल स्थिति बन चुकी है। लोधी वोटर यादव प्रत्याशी को वोट नहीं करेगा इसके पीछे भी लोकसभा चुनाव बड़े कारण बन गए है।
महासचिव के पदों पर दो मजबूत प्रत्याशी उतरे है 👇
अबधेश कुमार शाक्य व रोहित पूंढीर, ज़ब कि इस सीट पर भी चार प्रत्याशी वर्तमान में चुनाव लड़ रहें थे. लेकिन कल रात से दो प्रत्याशी मैदान में बाकी रह गए है.अध्यक्ष सीट को देखते हुए समझें तो महासचिव सीट पर शायद अबधेश कुमार शाक्य को PDA धोखा दें जाये. क्योंकि शाक्य वोट को अध्यक्ष पद पर लेने का लिए महज अबधेश कुमार शाक्य को महासचिव पद पर मोहरा बनाया गया हो.क्योंकि यादव वोटर खुद में इतना सक्षम और बुद्धिमान है कि वो जानता है कि कहा फायदा और कहा नुकसान है.
इस पुरे चुनाव में लोधी वोटर का कोई प्रत्याशी नहीं है महज एक सीट को छोड़ कर लेकिन महासचिव के पद भी लोकसभा चुनाव का फेक्टर दिखाई दें सकता है।लोधी वोटर अबधेश कुमार शाक्य को मुश्किल से 1% वोट करे सम्भव नहीं दिखाई देता है। इस सीट पर महासचिव प्रत्याशी रोहित पुंडीर की तरफ खेल मुड़ता दिखाई दें रहा है क्योंकि वोटर के पास महासचिव पद के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं हो सकता है.
इस खेल को ऊपर नीचे करने में SC वोटर खेल को समझ नहीं पा रहा है क्योंकि उसके लिए एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआ है तो जहाँ से SC वोटर आराम से निकल सकता है वही वोट कर सकता है। तो SC वोटर बसपा माइंड से पूर्ण योग्यता से भरा हुआ है ऐसे में PDA के चक्कर में तो नहीं जा सकता है. यह इसलिए भी कह रहें है क्योकि लोकसभा चुनाव का दंश आज भी बसपा वोटर के मन में PDA चलाने वालों के खिलाफ भरा हुआ है।
सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अध्यक्ष पद पर हार जीत का आंकड़ा महज कुछ का हो सकता है.महासचिव के पद में हार जीत का आंकड़ा बड़े स्तर पर रहने वाला है क्योंकि महासचिव पद पर अबधेश कुमार शाक्य और रोहित पुंडीर में से एक को चुनने की बारी में अधिवक्ता जानते है किसे चुनते है और कौन सुनता है!
तब यह हो सकता है 👇
आदित्य मिश्रा
रोहित पुंडीर
राजनीती की इस और आज की चोरस में एक बड़ा सांप हमेशा बैठा रहता है जो बार एसोसिएशन के चुनाव में भी मुँह खोले बैठा है
खैर शाम अभी दूर है
और दिल्ली दूरस्थ….!!