*2024 में नागरिक पत्रकारिता की स्थापना करके भारत की नई तकदीर और तस्वीर बनेंगी*
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*लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को संवैधानिक दर्जा दिलाने मीडिया कल्याण बोर्ड का गठन करने एवं मीडिया पालिका की स्थापना के लिए पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को संपूर्ण भारत में लागू करने इत्यादि प्रमुख मांगों को लेकर आगामी लोकसभा के सीटों पर पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को बनाया जाएगा उम्मीदवार*
*सभी पत्रकार बंधु अपने अधिकारों के लिए अपना सुझाव दें एवं लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बनकर पत्रकार हितों की आवाज को बुलंद करने के इच्छुक साथी संपर्क करें और अपना नाम दर्ज कराएं।*
नई दिल्ली–स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं भारतीय मतदाता महासभा के संस्थापक एके बिंदुसार जी ने सभी पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि आगामी 2024 में होने वाले आम लोकसभा चुनाव में सभी लोकसभा सीटों पर पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी बनाया जाएगा उन्होंने कहा कि पत्रकारों के हक अधिकार सम्मान सुरक्षा के सवाल पर अब सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष का बिल्कुल बजाया जाएगा उन्होंने पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील किया कि आप अगर इस लड़ाई में आगे आना चाहते हैं तो आप संपर्क करें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अब मीडिया पालिका की स्थापना मीडिया कल्याण बोर्ड बनाने एवं पूरे भारत में समान रूप से पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को लागू करने इत्यादि मांगों को लेकर सड़क से लेकर संसद तक के अभियान को मूर्त रूप देते हुए लोकसभा सीटों पर पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बनाना हमारा किसी राजनीतिक पार्टी को हराने या जितने के मकसद नहीं है बल्कि देश की जनता भारी तादाद में मतदान करें और व्यवस्था परिवर्तन के लिए ही पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया गया है उन्होंने कहा कि राज्यसभा या लोकसभा हो या विधानसभा हो अब पत्रकारों की हिस्सेदारी तय की जानी चाहिए पत्रकारों के लिए भी सीट आरक्षित होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता जी जान से देश की सेवा में लगे रहते हैं देश-विदेश की खबरों को आदान-प्रदान करते हैं लेकिन उनके ऊपर अंकुश लगाना उनके अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाना यह न्याय संगत नहीं है।
उन्होंने कहा कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू नहीं किया गया मीडिया कर्मियों के लिए कोई भी ऐसी योजनाएं नहीं चलाई जा रही है यह विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के लिए चिंता का विषय है।
उन्होंने समस्त पत्रकार बंधुओ एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि आप जाति एवं धर्म से ऊपर उठकर अपने हक अधिकार सम्मान सुरक्षा के सवाल पर व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से अब सड़क से लेकर संसद तक के इस संघर्ष के लिए आगे आए और हर लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बनाकर एवं बनकर नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से बड़ी सभाओं के माध्यम से पत्रकारों की आवाज को बुलंद करें उन्होंने देश के सभी पत्रकार संगठनों से भी अपील किया है कि अगर आप पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के अधिकार सम्मान सुरक्षा के सवाल पर पूरी तरह से निष्पक्ष हैं पारदर्शी हैं तो आपको इस अभियान में जुड़ने की आवश्यकता है अगर आप किसी विशेष राजनीतिक दल को या नेता को लाभ नहीं पहुंचाना चाहते हैं तो आपको सड़कों पर उतरना होगा लोकसभा के चुनाव में अपनी ताकत का प्रदर्शन करना होगा।
मित्रों आप पत्रकारों से उम्मीद करते हैं कि वो सच लिखें, अन्याय के खिलाफ लड़ें, सत्ता से सवाल पूछें, गुंडे अपराधियों का काला चिट्ठा खोल के रख दें और लोकतंत्र ज़िंदाबाद रहे तो निश्चित रूप से आप निम्न बिंदुओं पर ध्यान देते हुए पत्रकारों के बीच में जाएं और उनके हालात को समझें
1. पत्रकारों से कभी पूछिए उनकी सैलरी क्या है ?
2. कभी पूछिए पत्रकारों के घर का हाल खर्च कैसे चलता है?
3. कभी पूछिए उनके खर्चे कैसे चलते हैं ?
4. कभी पूछिए उनके बच्चों के स्कूल की पढाई कैसे होती है?
5.कभी मिलिए उनके परिवार,बच्चों से और पूछिए उनके कितने शौक पूरे कर पाते है?
6.कभी पूछिए की अगर कोई खबर ज़रा सी भी इधर उधर लिख जाएं और कोई नेता, सरकारी विभाग, सरकार या कोई रसूखदार व्यक्ति मांग लें स्पष्टीकरण तो कितने मीडिया हाउस अपने पत्रकारों का साथ दे पाते हैं?
7. कितने पत्रकारों के पास चार पहिया वाहन हैं ?
8. कितने पत्रकार दो पहिया वाहनों से चल रहे हैं ?
9. कितने पत्रकारों के पास बड़े बड़े घर हैं?
10. अपना और अपनों का इलाज़ कराने के लिए कितने पत्रकारों के पास जमा पूंजी है ?
11. प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का रूटीन पूछिएगा कभी, दिन भर फील्ड और शाम को ऑफिस आकर खबर लिखते लिखते घर पहुंचते पहुंचते बजते हैं रात के 09, 10, 11… सोचिए कितना समय मिलता होगा उनके पास अपने बच्चों, परिवार, पत्नी,मां बाप के लिए समय?
12. कभी पूछिए की अगर पत्रकार को जान से मारने कि धमकी मिलती है तो प्रशासन उसे कितनी सुरक्षा दे पाता है क्या सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार सुरक्षा कानून बना है?
13. कभी पूछिए की अगर कोई पत्रकार दुर्घटना का शिकार हो जाता है और नौकरी लायक नहीं बचता तो उसका मीडिया हाउस या वे लोग जो उससे सत्य खबरों की उम्मीद करते हैं वे कितने काम आते हैं।
14. अगर किसी पत्रकार की हत्या हो जाती है तो कितना एक्टिव होता है शासन प्रशासन और कानून पुलिस?
15. दंगे हों,आग लग जाए, भूकंप आ जाएं, गोलीबारी हो रही हो, घटना दुर्घटना हो जाएं सब जगह उसे पहुंच कर न्यूज कवरेज करनी होती है उसे दौरान उनकी सुरक्षा कौन करता है।
अगर किसी पत्रकार के पास अच्छा फोन, घड़ी,कपड़े, गाड़ी दिख जाए तो उसके लिए लोग कहने लगते हैं कि ‘दलाली से बहुत पैसा कमा रहा है।
भाई क्यों नहीं है हक। उसे अच्छे कपडे, फोन घर गाड़ी इस्तेमाल करने का… सोचिएगा फिर चर्चा करेंगे।
ऐसे में जो पत्रकार बेहतरीन काम कर रहे हैं और जूझ रहे हैं एक एक एक खबर के लिए वो न सिर्फ बधाई के पात्र हैं बल्कि उन्हें हाथ जोड़ कर प्रणाम कीजिए!
नोट – एक बार विचार अवश्य करें आपसे निवेदन सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पत्रकारों का साथ दें तभी हम लोग लोकतंत्र को मजबूत बना सकते हैं।
पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता एकता जिंदाबाद जिंदाबाद भारतीय मीडिया फाउंडेशन जिंदाबाद जिंदाबाद।