भास्कर के सर्वे के अनुसार यदि कांग्रेस को 95 सीट मिली तो राजस्थान में अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री होंगे, क्योंकि विधायकों को पटाने में गहलोत का दिमाग भाजपा से बहुत आगे है।

न्यूज चैनलों के साथ साथ भास्कर अखबार ने भी राजस्थान के चुनाव परिणाम का अनुमान लगाया है। भास्कर ने अपने अनुमान से कांग्रेस को 85 से 95 सीटें मिलने की बात कही है। यदि भास्कर के अनुसार कांग्रेस को अधिकतम 95 सीटें मिलती है तो फिर अशोक गहलोत ही राजस्थान के मुख्यमंत्री होंगे। भाजपा के नेता माने या नहीं, लेकिन विधायकों को पटाने में गहलोत का दिमाग भाजपा से बहुत आगे हैं। वर्ष 2018 में जब गहलोत मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्हें अंदाजा था कि एक दिन सचिन पायलट बगावत करेंगे। यह बगावत भाजपा की ओर से करवाई जाएगी। इस आशंका को ध्यान में रखते हुए गहलोत ने बसपा के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवा दिया। तब पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, लेकिन पायलट को बसपा के विधायकों के बारे में भनक तक नहीं लगी। बसपा के विधायकों के कांग्रेस में आने पर कांग्रेस के विधायकों की संख्या 105 हो गई। इसे गहलोत की राजनीति ही कहा जाएगा सभी 13 निर्दलीय विधायक भी सरकार के साथ रहे। जब पायलट सहित 19 विधायक दिल्ली चले गए तब भी गहलोत ने अपने साथ सौ विधायकों का बहुमत बनाए रखा। अपने समर्थक विधायकों को एकजुट रखने के साथ साथ गहलोत ने भाजपा के विधायकों में भी फूट करवा दी। तब इस फूट को लेकर बहुत चर्चाएं हुई। इन चर्चाओं को तब और मजबूती मिली, जब सीएम गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया कि उनकी सरकार को बचाने में भाजपा नेत वसुंधरा राजे का भी सहयोग रहा। गहलोत के इस कथन में कितनी सच्चाई है यह तो वे ही जाने, लेकिन सचिन पायलट के विद्रोह के बाद भी गहलोत ने अपनी सरकार को बचाए रखा। गत वर्ष 25 सितंबर को भी गहलोत ने कांग्रेस हाईकमान को जता दिया कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार भी हट जाएगी। यानि भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही मत देकर अशोक गहलोत पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री बने रहे। भास्कर के अनुमान में निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों की संख्या 15 तक बताई गई है। इन 15 विधायकों को कैसे पटाया जाता है यह राजस्थान की जनता को अच्छी तरह पता है। गहलोत इसमें माहिर है। राजस्थान में सरकार बनाने के लिए सौ विधायकों का बहुमत चाहिए। कांग्रेस को यदि 95 सीटें मिलती है तो फिर अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन यदि भाजपा के विधायकों की संख्या 100 के पार हो जाती है तो फिर गहलोत का चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का सपना धरा रह जाएगा। अधिकांश न्यूज चैनलों ने भाजपा को 115 सीटें मिलने की उम्मीद जताई है ।
मुलाकात के मायने:
सीएम गहलोत ने 30 नवंबर को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद गहलोत ने एक्स पर बताया कि यह मुलाकात विकास कार्यों को लेकर थी। अब जब चुनाव परिणाम में दो दिन है, तब सीएम ने किस विकास कार्य पर चर्चा की। यह तो वे ही जाने, लेकिन इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो परिणाम के बाद राज्यपाल की भूमिका को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए गहलोत ने मुलाकात की है। अगस्त 2020 में सियासी संकट के समय भले ही गहलोत ने राजभवन के अंदर प्रदर्शन किया हो, लेकिन इसके बाद गहलोत और राज्यपाल मिश्र के बीच मधुर संबंध बने रहे। राज्यपाल द्वारा संविधान पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन भी सीएम गहलोत ने ही किया। गहलोत ने कई बार कहा कि राज्यपाल मिश्र उनका बहुत ख्याल रखते हैं। मैं भले ही फोन न करू लेकिन राज्यपाल का फोन आ ही जाता है। मुझे फोन करने की जरूरत ही नहीं होती। यह सही है कि कलराज मिश्र की नियुक्ति केंद्र सरकार ने की है, लेकिन मिश्र ने अशोक गहलोत से अच्छे संबंध बनाए रखे हैं। गहलोत का भरोसा है कि जरुरत पड़ने पर राज्यपाल मिश्र उन्हें सहयोग करेंगे। कम से कम जरूरी सूचनाएं तो दी ही जा सकती है।