आजाद भारत में पत्रकारिता है गुलाम  भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया अपने अस्तित्व की तलाश में

*आजाद भारत में पत्रकारिता है गुलाम  भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया अपने अस्तित्व की तलाश में।*
*पत्रकारिता की अभिव्यक्ति वर्तमान परिवेश में खतरे में सशक्त मीडिया की दूसरी आजादी की प्रथम महाक्रांति परम आवश्यक*–
एके बिंदुसार
संस्थापक भारतीय मीडिया फाउंडेशन

नई दिल्ली-भारतीय मीडिया फाउंडेशन की ओर से समस्त रूटीन के पत्रकार बंधुओं, स्वतंत्र पत्रकार बंधुओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाओं सहित भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने कहां भारतीय लोकतंत्र मूल आत्मा मीडिया खतरे में हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के 7 दशक के बाद भी मीडिया अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि आजाद भारत में पत्रकारिता का क्षेत्र आज भी गुलाम है स्वतंत्र पत्रकारिता पर ग्रहण लगा हुआ है।
आए दिन पत्रकारों की अभिव्यक्ति पर हथोड़ा चलाया जाता है भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर देश के पीड़ित नागरिकों की आवाज उठाने पर गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने पर पत्रकारों के ऊपर फर्जी मुकदमा हो जाता है यह जीता जागता उदाहरण हैं।
उन्होंने पत्रकारिता पर कहां की पत्रकारिता का कार्य ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना  ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारों के कार्यो, कर्तव्यों और लक्ष्यों का विवेचन होता है। पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है।
उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता दिवस हर साल 30 मई को मनाया जाता है। दरअसल इसे मनाने की वजह यह है कि इसी दिन साल 1826 में हिंदी भाषा का पहला अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ प्रकाशित होना शुरू हुआ था। इसका प्रकाशन तत्कालीन कलकत्ता शहर से किया जाता था और पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे शुरू किया था। शुक्ल स्वयं ही इसके प्रकाशक और संपादक थे।
उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता देश की दिशा और दशा बदलने में सक्षम है लेकिन पत्रकारिता की अभिव्यक्ति पर लगाम लगाकर पत्रकारों की अभिव्यक्ति पर हथोड़ा चलाकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को कमजोर किया जा रहा है जो भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के विकसित राष्ट्र बनने और विश्व गुरु बनने में बाधक होगा।
उन्होंने कहा कि आजाद भारत में पत्रकारिता पूरी तरह से गुलामी मानसिकता से गुजर रही है।
उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर देश के सभी पत्रकार बंधुओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को पत्रकारिता की दूसरी आजादी की प्रथम महा क्रांति का संकल्प लेकर आगे बढ़ना होगा।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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