चिंताजनक कम उम्र में गांजे की लत खराब कर देगी दिमाग

चिंताजनक कम उम्र में गांजे की लत खराब कर देगी दिमाग, रिपोर्ट योगेश मुदगल

कम उम्र में गांजे की लत से आने वाले समय में दिमाग खराब हो सकता है। जर्मनी में हुए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अध्ययन में कहा गया ह ैगांजे का सेवन करने वाला जितनी कम उम्र का होगा, उसका दिमाग डैमेज होने का जोखिम उतना ही ज्यादा बढ़ जाता है।

जर्मनी के अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों पर साल 2000 से 2018 के बीच हुए शोध में पाया गया कि गांजे के इस्तेमाल के कारण हुई मानसिक परेशानियों के चलते अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है। अध्ययन में पाया गया कि 13 से 15 साल की उम्र से ही इसका बहुत ज्यादा सेवन करने वालों के दिमाग में स्थायी बदलाव होते हैं। इससे मुख्यतौर पर मस्तिष्क का अगला हिस्सा प्रभावित होता है, जो दिक्कतें सुलझाने, गुस्से पर काबू पाने और भावनाओं को नियंत्रित करने जैसे काम करता है। अध्ययन के लेखक डॉक्टर मैक्सीमिलियन गार ने बताया कि गांजे का सेवन ना करने वालों की तुलना में, कम उम्र से ही लगातार इसका सेवन करने वालों के फ्रंटल लोब के आकार में कमी देखी गई।

यह लक्षण महसूस होते हैं अध्ययन में शामिल लीनुस नॉएमायर बताते हैं कि उन्हें कभी मनोवैज्ञानिक दिक्कतें नहीं थीं। बावजूद इसके उन्होंने गांजा पीना शुरू कर दिया। कुछ ही महीनों के सेवन के बाद उन्हें पहला पैनिक अटैक हुआ। इस दौरान उन्हें पसीना आया और धड़कन बढ़ गई । धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ने लगी और उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। डॉक्टर गार कहते हैं कि ऐसे 18 सालों में ऐसे मरीजों की संख्या में करीब पांच गुना तक वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि गांजा पीने वाले सभी लोगों पर एक जैसा असर नहीं होता है। कुछ लोगों पर यह ज्यादा गंभीर असर करता है।

साइकोथेरेपी सेशेन एक मात्र इलाज

गांजे की लत छुड़ाने के लिए साइकोथैरेपी सेशंस एक मात्र इलाज है। यहां पाड़ितों को यह सिखाया जता है कि अचानक पैनिक अटैक आने पर क्या करना चाहिए। लीनुस बताते हैं कि अगर आप इस अटैक को दबाने की कोशिश ना करें, तो इसकी तीव्रता कम होती है।

दुनिया में हर सातावां इंसान पी रहा गांजा

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, दुनिया भर के 18 करोड़ लोग गांजे का सेवन करते हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दुनिया में हर सातवां इंसान यह नशा कर रहा है। सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक, 2020 के सर्वे में भारत के 20 लाख बच्चे गांजा पीते पाए गए थे।

यूरोप और अमेरिका में वैध है बिक्री

आनुवांशिक कारक ढूंढने में जुटे
शोधकर्ता गांजा पीने के आनुवांशिक कारकों की भी जांच कर रहे हैं, जिनके कारण कुछ लोगों को दिक्कतें पैदा होने का जोखिम बढ़ जाता है। गांजा पीने वाले कई लोग दावा करते हैं कि इसकी लत नहीं लगती, लेकिन जानकार इन दावों से सहमत नहीं हैं। गांजे की लत लग सकती है। ऐसे में रिकवरी मुश्किल हो जाती है। डॉक्टर गार बताते हैं कि एक बार छोड़कर दोबारा गांजा पीना शुरू करने वालों की भी संख्या भी बहुत ज्यादा है। वहीं, ड्रग की संरचना से भी इस पर असर पड़ता है।

सबसे पहले साल 1976 में नीदरलैंड में गांजे की बिक्री को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद लक्सबर्ग, स्पेन, पुर्तगाल और जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों में इसकी बिक्री को वैधता मिल गई। अमेरिका में कैलिफोर्निया और राजधानी वाशिंगटन डीसी सहित 18 राज्यों में एक दशक से गांजे की बिक्री को मंजूरी मिल चुकी है। बीते साल थाइलैंड गांजे की बिक्री को वैध करार देने वाला एशिया का पहला देश बना है। भारत में औषधीय रूप से इसका इस्तेमाल होता है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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