33 साल चला भैंस की सुपुर्दगी का मुकदमा

33 साल चला भैंस की सुपुर्दगी का मुकदमा

मैनपुरी/प्रयागराज, .। पुलिस द्वारा पकड़ी गई एक भैंस उसके मालिक को सुपुर्द करने का मुकदमा अदालतों में 33 साल तक चलता रहा। अंतत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस मुकदमे को अर्थहीन करार देते हुए खारिज करते हुए इसका निस्तारण कर दिया।
आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी ने मैनपुरी के अमृत सिंह की निगरानी पर दिया है। निगरानी में अपर मुंसिफ मजिस्ट्रेट के 20 अक्तूबर 1989 के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि बरामद की गई भैंस व उसका बच्चा उसके मूल स्वामी को लौटा दिया जाए। अमृत सिंह ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 1990 में इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में निगरानी दाखिल की गई। यह केस तब से लगातार हाईकोर्ट में लंबित था। गुरुवार को निगरानी जस्टिस ओम प्रकाश त्रिपाठी के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुई। तो हाईकोर्ट ने कहा कि प्रकरण लगभग 33 वर्ष पुराना है और अर्थहीन हो चुका है। हाईकोर्ट ने इस निष्कर्ष के आधार पर मुकदमे को खारिज कर दिया। बता दें कि पशु विशेषज्ञों के अनुसार, भैंस की अनुमानित आयु 20-25 वर्ष होती है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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