
अब अविवाहित महिलाएं भी 24 हफ्ते तक का गर्भ गिरा सकेंगी….सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स (MTP) के नियम 3b का विस्तार किया है…..अब तक सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के अबॉर्शन का अधिकार विवाहित महिलाओं को ही था….
कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर विवाहित महिला का गर्भ उसकी इच्छा के विरुद्ध है तो इसे बलात्कार की तरह देखते हुए उसे गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए….. इसी के साथ ही अब मैरिटल रेप की स्थिति भी कानूनी संदर्भ में स्पष्ट हो गई……
फैसले से बड़े शहरों की हाई क्लास महिलाओं को तो सहूलियत मिलेगी,लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी इतना खुलापन नही है कि कोई अविवाहित लड़की गर्व से किसी क्लिनिक पर अबॉर्शन कराने जा सके…लड़कियां चुपचाप गर्भपात वाली गोलियां खाती हैं और जिंदगी भर उनके साइड इफेक्ट्स झेलती हैं…. ग्रामीण इलाकों में विवाहित महिला भी गर्भपात का यही रास्ता चुनती है….
इसलिए ग्रामीण भारत के लिए ये फैसला कोई बहुत ज्यादा प्रासंगिक नही है… हजारों रुपए अबॉर्शन पर खर्च करने की स्थिति में ग्रामीण भारत की ज्यादातर महिलाएं तब तक नही होती जब तक उनकी जान पर न बन आए…..
हां शहरी क्षेत्र की महिलाओं और कामकाजी महिलाओं के लिए ये लिए ये फैसला थोड़ा सा राहत देने वाला हो सकता है…… लेकिन ये कभी भूलिएगा नही कि जितनी अबॉर्शन की स्वतंत्रता बढ़ेगी उतनी ही कन्या भ्रूण हत्या की दर भी बढ़ेगी…..
हां बस फैसले की एक चीज से मै संतुष्ट हूं कि अब न्यायपालिका ने मैरिटल रेप पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है… जोकि बहुत जरूरी था…. ताकि पुरुष प्रधान समाज ये समझ ले कि पत्नी आपकी प्रॉपर्टी नही होती…. पत्नी की हां और ना का भी मतलब होता है….. पत्नी आपकी बपौती नहीं है….. ये बात भारतीय पुरुष अपने दिमाग में जितनी जल्दी बैठा ले उतना अच्छा……