
उत्तर प्रदेश से क्या सच में भ्रष्टाचार पर “अंकुश” लगाने में सफल हो पायेगी योगी सरकार“
अटल बिहारी शर्मा -लखनऊ एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए बुलडोजर को अपना हथियार बना लिया है तो दुसरी तरफ विपक्षी दल उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए अपराध- भ्रष्टाचार का तस्वीर भी जानता के बीच शेयर करके योगी सरकार पर आरोप भी लगा रहे हैं।
सच्चाई क्या है तो हमें इस पर गहराई में जाकर जमीनी हकीकत को देखना होगा उदाहरण के तौर पर हम बात करें उत्तर प्रदेश के अस्पतालो का जहां पर लोगों के स्वास्थ्य का के साथ कितना सही काम किया जाता है कितना लापरवाही बरती जाती है वहां भ्रष्टाचार पर अंकुश लग चुका है य नहीं।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक को स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा जैसे सौंपा गया उन्होंने नायक मूवी के अनिल कपूर की तरह विभागों में छापेमारी करना शुरू कर दिए कब किस अस्पताल में पहुंच जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता।
क्या उस छापेमारी का असर हुआ यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है हम सूत्रों की माने तो आज भी अस्पतालों में मरीजों के साथ वही पुराना तौर तरीका अपनाया जाता है बाहर दवा लेना बाहर जांच करवाना चढ़ावा चढ़ाना सब कुछ वैसा ही अभी भी तमाम अस्पतालों में चल रहा है।
तो सवाल यही है कि क्या अस्पतालों से योगी सरकार भ्रष्टाचार को मुफ्त करा चुके हैं या फिर आम जनता अभी भी उसी तरह अस्पतालों में प्रताड़ित हो रही है जैसे पहले होते थे।
हम बात करें शिक्षा विभाग की जिससे आम जनता के बच्चों का भविष्य जुड़ा हुआ है जिसमें गरीब मजदूर कमजोर वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं उनके मां-बाप अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए सरकारी स्कूलों पर भरोसा करके स्कूल भेजते हैं ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके और उनके बच्चे भी आगे चलकर डॉक्टर इंजीनियर अधिकारी बंद कर उनका नाम रोशन कर सकें।
सूत्र यह भी बताते हैं की शिक्षा विभाग में भी कन धांधली नहीं है बच्चों का हक मारा जाता है सरकार सुविधाएं सरकारी स्कूल के बच्चों को देते हैं उनमें से उन बच्चों को उतना सब नहीं मिलता जितना उन्हें मिलना चाहिए तमाम सरकारी स्कूल के अध्यापक मनमानी तरीके से स्कूल आते हैं और मनमानी तरीके से ताला लगा कर चले जाते हैं अब सवाल यह भी है कि क्या ऐसे में गरीब के बच्चे पढ़कर डॉक्टर इंजीनियर अधिकारी बनकर अपने मां बाप का नाम रोशन कर पाएंगे क्या योगी सरकार शिक्षा विभाग से भ्रष्टाचार को मुक्त करने में सफल हो गई है।
हम बात करें एलडीए की तो तमाम अवैध निर्माण की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं अभी हाल ही में राजधानी लखनऊ के लेवाना होटल में आग लगे कई लोगों की जान गई बहुत कुछ जलकर राख हो गया फिर पता चला कि लेवाना होटल अवैध चल रहा था वह होटल के मालिक मैनेजर की गिरफ्तारी भी हुई कार्रवाई भी की गई।
सूत्र बताते हैं की राजधानी लखनऊ में अभी भी तमाम अवैध निर्माण तमाम अवैध बिल्डिंग बेहिचक लखनऊ के धरती पर खड़ी हैं आप यहां पर सवाल एलडीए पर भी उठ रहा है कि आखिर एलडीए के अधिकारी डाटा को नहीं रखते क्या वह अपने काम को ईमानदारी पूर्वक करने में असमर्थ है इसीलिए अवैध निर्माण पहले हो चुके हैं और अभी भी हो रहे हैं क्या योगी सरकार एलडीए को भ्रष्टाचार मुक्त बना चुकी है।
हम बात करें राजस्व विभाग की को ब्लॉक तहसील कोर्ट में तमाम पीड़ित अपनी जमीन को बचाने के लिए चक्कर काटते हुए मिल जाएंगे तमाम सरकारी जमीन भू माफियाओं द्वारा हथिया लिया जा रहा है तमाम गरीबों के जमीन पर भू माफिया कब्जा कर रहे हैं क्या यहां पर सवाल खड़ा नहीं होता क्या योगी सरकार राजस्व विभाग पर भ्रष्टाचार मुक्त मोहर लगाने में सफलता हासिल कर चुकी है।
हम बात करें यातायात की तो यातायात को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योगी सरकार ने कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की दिशा निर्देश जारी किए अवैध टैक्सी स्टैंड हो अवैध अतिक्रमण हो।
डग्गामार वाहन हो उसको उत्तर प्रदेश से समाप्त कर देने के लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए लेकिन सूत्र बताते हैं कि आज भी प्रतिबंधित एरिया में बिना नंबर के नाबालिग ई-रिक्शा दौड़ाते हुए नजर आ रहे हैं अभी भी सड़कों पर डग्गामार वाहन दौड़ते हुए नजर आ जाएंगे बहुत सवाल यहां भी उठना लाजमी है।
क्या यातायात भ्रष्टाचार मुक्त हो चुका है अगर हो चुका है तो कैसे प्रतिबंधित एरिया में ई-रिक्शा दौड़ रहा है डग्गामार वाहन चलाए जा रहे हैं अतिक्रमण फैला हुआ नजर आ रहा है।
हम बात करें नगर निगम की तो क्या नगर निगम अपना काम बापू भी निभा रहा है साफ सफाई हो या अन्य और जिम्मेदारी क्या नगर निगम आम जनता के हित के लिए वह सब कुछ कर रहा है जो जिम्मेदारी सरकार ने नगर निगम को सौंपी है।
यदि भ्रष्टाचार मुक्त नगर निगम हो चुका है तो जगह-जगह कूड़े का अंबार गंदगी क्यों दिख रहा है बिना नंबर प्लेट की गाड़ियां रोडो पर नगर निगम क्यों दौड़ा रहा है।
लखनऊ में 2 दिन ही बरसात हुआ सड़कों पर बाढ़ आ गया लोगों के घरों में पानी घुस गया आमजन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा तो क्या योगी सरकार नगर निगम को भ्रष्टाचार मुक्त बना चुकी है।
अब इस सब का पर्दाफाश कौन करेगा इन सबके खिलाफ तस्वीरों को जनता के बीच कौन पेश करेगा आम आदमी तो करेगा नहीं अधिकारी तो करेंगे नहीं कोई नेता विधायक मंत्री तो करेंगे नहीं यह काम मीडिया कर सकता है एक पत्रकार कर सकता है लेकिन क्या इन विभागों में पत्रकार आसानी से जाकर सच्चाई को दिखा पाएगा क्या उसे अस्पताल के अंदर खबर कवर करने की इजाजत दी जाएगी क्या वह स्कूलों के अंदर जाकर रिपोर्टिंग करके वहां का सच्चा तस्वीर जन जन तक पहुंचा पाएगा नगर निगम हो य एलडीए या फिर राजस्व विभाग गायक पत्रकार इनके कार्यालय में जाकर कड़वा सवाल करके सच्चाई को दिखा पाएगा यदि दिखाने का प्रयास करेगा जोर जबरदस्ती करेगा तो आरोप लगना निश्चित हो जाएगा।
यहां तक पत्रकार से मारपीट भी हो जाएगा झूठा मुकदमा पंजीकृत करा कर एक पत्रकार को सलाखों के पीछे भेज दिया जाएगा तो अब जरा सोचिए कि कौन इतना बड़ा रिक्स लेकर तस्वीरों को जनता के बीच साझा कर पाएगा।
इन सब चीजों पर जो पत्रकार सवाल करेगा वही पत्रकार से सवाल करने के लिए बड़े-बड़े लोग आगे आ जाएंगे और एक पत्रकार को कटघरे में खड़ा होना पड़ जाएगा।
यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बाबा आदित्यनाथ योगी उत्तर प्रदेश से भ्रष्टाचार सच में जड़ से खत्म करवा देना चाहते हैं उत्तर प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बना देना चाहते हैं तो जमीनी स्तर से जुड़ कर काम करने वाले पत्रकारों को सुरक्षा देना होगा पत्रकारों के लिए अलग से कानून बनाना होगा तभी जमीनी स्तर की सच्चाई क्या है जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है भ्रष्टाचार का मकड़जाल कहां-कहां फैला हुआ है तभी उस पर उत्तर प्रदेश सरकार अंकुश लगा पाएगी।
हमारे देश की जनता समझती है मीडिया बिकाऊ है मीडिया दलाल है मीडिया मैनेजमेंट तो इस बात को अपने दिल और दिमाग से निकालना होगा मीडिया जिस दिन बिक गई जिस दिन दलाल हो गई जिस दिन मैनेजमेंट हो गई उस दिन देश की जनता बंधुआ मजदूर की तरह जीवन जीने पर मजबूर हो जाएगी मीडिया हमेशा जमीनी स्तर से जुड़कर सच दिखाने का काम किया है और आज भी सच को परोस रही है लेकिन कुछ तस्वीरें जनता तक नहीं आ सकती क्योंकि एक पत्रकार का परिवार है एक पत्रकार को भी अपनी जान प्यारी है एक पत्रकार को भी आरोपों से बचना है झूठे मुकदमे में फंसकर अपनी जिंदगी तबाह नहीं कराना है इसलिए अपनी जान को खतरे में नहीं डालना चाहती एक आम आदमी भी जिस दिन पत्रकार बन जाएगा उसे पता चल जाएगा की एक पत्रकार को किन किन परिस्थितियों से गुजर ना होता है किन-किन लोगों से दुश्मनी लेनी पड़ती है किस तरह से अपनी जान को जोखिम में डालकर एक स्ट्रिंग करना पड़ता है खबरों को कैसे खोज कर जनता के बीच रिलीज करना होता है फिर जाकर एक पत्रकार अपनी कलम का उपयोग कर पाता है।
आज जो हमने लेख लिखा क्या हमारे इस लेख पर लोग सवाल नहीं उठाएंगे।
हमसे नहीं पूछेंगे कौन सा अस्पताल है कौन सा सरकारी स्कूल है कौन सा ब्लॉक है कौन सा तहसील है कौन सा नगर निगम है कौन सा एलडीए है कहां का यातायात गड़बड़ है लेकिन हम से सवाल करने से पहले एक बार इन सभी विभागों में झांक कर देखो अगर हमारा लिखा हुआ लेख गलत साबित होता है फिर हमसे सवाल करो हम माफी भी मांगेंगे और पत्रकारिता को छोड़ देने का हिम्मत भी रखेंगे।
आवाज जन-जन की अपराध भ्रष्टाचार के खिलाफ।
स्वतंत्र पत्रकार अटल बिहारी शर्मा लखनऊ?