स्पीडी ट्रायल सिर्फ शिकायतकर्ता का ही नहीं बल्कि आरोपी का भी अधिकारः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 साल पुराना आपराधिक मामला रद्द किया

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स्पीडी ट्रायल सिर्फ शिकायतकर्ता का ही नहीं बल्कि आरोपी का भी अधिकारः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 साल पुराना आपराधिक मामला रद्द किया

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????इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक 24 साल पुराने आपराधिक मामले को रद्द/खारिज करते हुए जोर देकर कहा कि स्पीडी ट्रायल संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक अभिन्न अंग है।

⬛जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने पिछले कई वर्षों से अनावश्यक और आधारहीन आपराधिक कार्यवाही लंबित होने पर भी अपना रोष व्यक्त किया और कहा कि वर्तमान मामले में, आपराधिक कार्यवाही 1998 से, यानी लगभग 24 वर्षों से लंबित है और यह केवल डिस्चार्ज आवेदन के चरण तक पहुंच पाई थी।

कोर्ट ने आगे अपने आदेश में कहा,

????”चूंकि इस अदालत ने कार्यवाही को रद्द कर दिया है, लेकिन 24 साल बाद, इसलिए आरोपी व्यक्तियों/आवेदकों की पीड़ा की भरपाई नहीं की जा सकती है। स्पीडी ट्रायल न केवल शिकायतकर्ता का बल्कि आरोपी व्यक्तियों का भी अधिकार है। इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कार्यवाही केवल डिस्चार्ज आवेदन के चरण तक ही क्यों पहुंच पाई है

????निचली अदालतों को यह प्रयास करने का निर्देश दिया जाता है कि प्रत्येक आपराधिक कार्यवाही को शीघ्रता से समाप्त किया जाए क्योंकि स्पीडी ट्रायल शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों व्यक्तियों का अधिकार है।

संक्षेप में मामला

????डॉ. मेराज अली और अन्य (आवेदक) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467 और 468 के तहत कथित रूप से अपराध करने के मामले में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच के बाद 18 नवंबर 2000 को चार्जशीट दाखिल की गई और संज्ञान भी लिया गया।

????आवेदकों ने 23 दिसंबर, 2021 को डिस्चार्ज के लिए एक आवेदन दायर किया, जिसे 9 मार्च, 2022 के आक्षेपित आदेश के माध्यम से खारिज कर दिया गया। अदालत ने आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया क्योंकि कोर्ट ने पाया कि आवेदकों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में स्पष्ट रूप से दुर्भावना शामिल थी और निजी और व्यक्तिगत रंजिश के कारण आवेदकों से बदला लेने की दृष्टि से एक गुप्त उद्देश्य के साथ दुर्भावनापूर्ण तरीके से कार्यवाही शुरू की गई थी।

परिणामस्वरूप,

❇️आवेदन को अनुमति दे दी गई और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अलीगढ़ द्वारा 09 मार्च, 2022 को पारित आदेश को रद्द कर दिया गया।

केस टाइटल – डॉ. मेराज अली व अन्य बनाम यू.पी. राज्य व अन्य,
आवेदन यू/एस 482 नंबर-11924/2022
साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (एबी) 440

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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