पशुओं की महामारी रोकने में अपना हाथ बढ़ा कर सहयोग प्रदान करे

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड भारत सरकार की मानद जीवजंतु कल्याण अधिकारी गौसेविका एडवोकेट पूनम पाण्डेय ने अपील की है कि लम्पी रोग से गौवंश को बचाने के लिए पशुचिकित्सक और सभी पशुप्रेमी एक दूसरे सहयोग करने के लिए आगे आएं लम्पी रोग से शुरू में गायों को बुखार आता है और वे चारा खाना बन्द कर देते हैं। शरीर पर दाने दिखाई देने लगते हैं,गौवंश थके हुए सुस्त दिखाई देने लगते हैं,शरीर का तापमान बहुत अधिक होना,बुखार आना,कम भूख लगना, चेहरे,गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें पैरों में सूजन, लंगड़ापन, नर पशु में काम करने की क्षमता कम हो जाना,शरीर पर दाने निकलना दाने घाव में बदलना आदि प्रारंभिक लक्षण हैं।
जैसे ही ये लक्षण दिखाई दे आप बिना देर किये अपने नजदीकी पशुचिकित्सक या पशुचिकित्सालय में सम्पर्क कर उपचार कराएं। सामान्यतः गौवंश 10 से 12 दिन में ठीक होने लगते हैं। संक्रमित गौवंशों को स्वस्थ गौवंश से अलग कर दें,घर ,गौशाला, आदि जगहों पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, मच्छर मक्खी न पनपने दें।
स्वस्थ गौवंशों का टीकाकरण करवाएं ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।
घरेलू उपचार में फिटकरी के पानी से नहलाएं या स्प्रे करे,होम्योपैथी इलाज मददगार साबित हो रहा है।साथ ही गोटपॉक्स वैक्सीन का टीकाकरण करवाएं।
लम्पी स्कीन डिसीज जिस वायरस के कारण होती है, उसका नाम Capripoxvirus है। ये बीमारी गायों को होती है।ये वायरस गोटपॉक्स और शिपपॉक्स फैमिली का है। लम्पी वायरस मवेशियों में मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए फैलता है।
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किन्तु जागरूक रहते हुए प्रारंभिक लक्षण दिखते ही इस महामारी से बचाव के उपाय अपनाए जा सकते हैं और गौवंश को बचाया जा सकता है। –
बचाव के उपाय- लंपी रोग से प्रभावित गौवंश को अलग रखें मक्खी, मच्छर,एवम अन्य परजीवियों को न पनपने दें।गौवंश की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
स्वयं जागरूक रहें और दूसरों को भी जागरूक करें ।
गाय बचेंगी तो देश बचेगा