
वीर भूमि बुंदेलखंड, श्री राम जानकी मंदिर चिरगांव जहां संतान की मनोकामना लेकर पहुंचते दंपत्ति: संतान होने के बाद करते झूले का दान, मंदिर में टंगे हजारों झूले
!!.विदेशी सैलानी व पर्यटक क्रांति वीरों की जननी चिरगांव में संकट मोचन हनुमान जी से संतान का मांगते आशीर्वाद.!!
विश्व के नक्शे पर बुंदेलखंड की भूमि क्रांति वीरों एवं योद्धाओं की कर्म भूमि रही है l देश में पहली क्रांति सन् 1842 में झांसी जिला के चिरगांव से हुई थी, देश को आजाद कराने के लिए राव बखत सिंह जूदेव ने अंग्रेजों से लोहा लेकर स्वतंत्रता का बिगुल बजा दिया था, यहीं पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, राष्ट्रीय लेखक सियारामशरण गुप्त का जन्म हुआ था l विदेशों में मुंशी अजमेरी जी की काव्य गाथा का बखान अमेरिका, जर्मनी, जापान की पुस्तकों में किया गया है l उनका जन्म भी वीर भूमि चिरगांव में हुआ था l ओरछा रियासत, दतिया रियासत और चिरगांव रियासत के कुल गुरु हरनारायण पाराशर की जन्म और कर्म भूमि चिरगांव रही l इस युग में आजकल चिरगांव की नई पहचान यहां के श्रीराम जानकी मंदिर से भी हो रही है। पहचान का कारण भी अनोखा है। किला परिसर के प्राचीन मंदिर में प्रवेश करते ही बच्चों के सैकड़ों पालने (झूला) टंगे दिखाई देते हैं। पालने टंगे होने का कारण है l यहां का हनुमान मंदिर। यहां पुजारी हरिमोहन पाराशर कहते हैं कि मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी दंपत्ति संतान की मनोकामना लेकर आता है, उसे संतान प्राप्ति अवश्य होती है। संतान होने के बाद दंपत्ति मंदिर में झूला अवश्य चढ़ाते हैं। करीब 40 साल से श्रीराम जानकी मंदिर में झूले चढ़ाने का सिलसिला चल रहा है। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग यहां आए और उन्हें संतान प्राप्ति हुई है। मंदिर में संकट मोचन हनुमान जी के दर्शन होते है l शिव पार्वती का अद्भुत मंदिर है l
मंदिर में अब तक हजारों पालने…..
श्रद्धालुओ द्वारा चढ़ाए गए हैं। अब मंदिर में झूले रखने की जगह नहीं बची है तो छत पर झूले रखवा दिए गए हैं। मंदिर में विदेशी सैलानियों व पर्यटकों का पहुंचना अनवरत जारी है, लोग संतानों की कामना के लिए यहां पहुंचते हैं l