पत्रकारों के अधिकार सम्मान सुरक्षा के महाआंदोलन को रोकने की मीडिया विरोधियों का नाकाम साजिश

पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं से संबंधित सुरक्षा के सूचनाओं पर भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने कहा कि अखबार में प्रकाशित खबरों को वायरल करके पत्रकारों के अधिकार सम्मान सुरक्षा के महाआंदोलन को रोकने की मीडिया विरोधियों का नाकाम साजिश

नई दिल्ली। आप जानते हैं इधर बीच तमाम अखबारों में पत्रकारों के सुरक्षा के सवाल पर विभिन्न प्रकार की फर्जी खबरों का भरमार हो गया हैं। आए दिन सोशल मीडिया पर यह देखने को मिल रहा है कि पत्रकारों को सरकार की ओर से तोहफा अब उस तोहफे में कितना दम है इसकी समीक्षा तो सभी पत्रकार बंधुओं को करना चाहिए।
पत्रकारों को धमकाने पर होगी बड़ी कार्रवाई पत्रकारों का उत्पीड़न करने वाले जाएंगे जेल, लगेगा 50000 का जुर्माना वाली कई खबर वायरल हो रहा है। इतना ही नहीं पत्रकारों के मामले में बिना सीआईडी जांच किए बगैर पत्रकारों के ऊपर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होगी। इन सब खबरों में कितना दम है उस तह तक पहुंचे बिना बड़े खुशी से हमारे पत्रकार बंधु और कई पत्रकार अपने समाचार पत्रों में भी उस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं।
यह सब चक्कर सिर्फ हीरोगिरी दिखाने की होती है। लोग पत्रकारों का नेता बनने के लिए इतना लालायित हो गए हैं की पत्रकारिता की गरिमा पूरी तरह से हो गई ध्वस्त। इसी बीच इन सब खबरों को संज्ञान में लिया भारतीय मीडिया फाउंडेशन की टीम ने, भारतीय मीडिया फाउंडेशन की टीम की ओर से भी इन सब खबरों पर सराहनीय पहल और बधाइयां दी गई लेकिन तत्पश्चात भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने इन सब खबरों पर गहराई से जांच का भी लिया निर्णय तो तह तक पहुंचने पर पता चला कि यह सारे के सारे खबर फर्जी हैं। कुछ तथाकथित लोग बड़े राजनेताओं को अपने मंचों पर बुलाकर और कुछ अखबार के लोग जो राजनीतिकरण के शिकार हो चुके हैं ऐसे लोगों ने इन खबरों को जनमानस के बीच में प्रचार प्रसार के लिए पोस्ट किया है। जबकि सच्चाई यह है कि चाहे उत्तर प्रदेश हो, चाहे मध्यप्रदेश हो, चाहे दिल्ली हो, चाहे महाराष्ट्र, चाहे पंजाब हो, हरियाणा ,राजस्थान, गुजरात किसी भी राज्य की ओर से किसी भी प्रकार का कोई भी आदेश पत्र अथवा सरकार का जिओ दिखाने के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं तो फिर इन खबरों में कैसे दम है इन खबरों को कैसे सही माना जाएं।
इसके पीछे पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की एकता और अखंडता से लोगों में घबराहट हो गई है और इस मिशन को तोड़ने की एक साजिश के तहत फर्जी खबरों को राजनीतिक करण के शिकार लोगों के द्वारा वायरल कराया जा रहा है।
इतना ही नहीं एक और खबर वायरल हो रही है की न्यूज़ पोर्टल चलाने वालों पर होगी कार्रवाई, यूट्यूब चलाने वाले पर होगी कार्रवाई। जब सरकार ने बड़ी-बड़ी वेबसाइट कंपनियों को लाइसेंस दे रखा है और उन्हें अधिकार दे रखा है तो उनका व्यवसाय कैसे बंद कराएगी सरकार और तो और सरकार ने अभी किसी भी प्रकार की इस तरह के नियम कानून को सदन के अंदर बहस कराकर पास नहीं किया है। अगर कहीं से विचार उठा भी है तो वह अभी विचाराधीन है। सरकार ने कोई ऐसी नीतियां नहीं बनाई है। अगर बना है तो उसका भी खुलासा होना चाहिए।
ऐसे खबरों से सावधान रहने की अपील करते भारती मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने कहा कि यह सारा खेल सत्ता एवं विपक्ष में अपनी पैठ बनाएं हुए भ्रष्टाचारियों एवं मीडिया विरोधियों का एक रणनीति है जो देश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को सशक्त नहीं बनाना चाहते। पत्रकार एवं देश के सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को एक मंच पर एकत्रित होने से रोकना चाहते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता है और अपने आवाज को संगठित होकर बुलंद करने की जरूरत है।
किसी भी प्रकार के फर्जी खबरों के वायरस से बचें और भारतीय मीडिया फाउंडेशन के मीडिया अधिकारी इस पर विशेष ध्यान देने कार्य करें।

भारतीय मीडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय सलाहकार मैनेजमेंट राम आसरे ने कहा कि यह काफी दिन से खबर वायरल हो रही हैं जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जब खबरों का प्रचार प्रसार तेज हुआ तो भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं भारतीय मतदाता महासभा ने इस पर पूरी सक्रियता से ध्यान दिया। मुख्य रूप से भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार एवं उनकी टीम काफी दिन से इन खबरों पर नजर रखी हुई थी जिस पर छानबीन जांच पड़ताल हुआ तो पता चला कि इन खबरों में कोई सत्यता नहीं है। सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार का आदेश निर्देश परिपत्र जारी नहीं है। इन खबरों को वायरल करने वाले लोग अभी तक सरकार के किसी भी प्रकार के आदेश, निर्देश पत्र को किसी भी सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि वयोवृद्ध 60 वर्ष से अधिक उम्र के पत्रकारों के लिए पेंशन की जो आदेश उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा जारी हुआ है यही एक सत्य खबर दिखाई दे रही हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र पत्रकारों के पेंशन का आदेश पत्र भी कई सोशल मीडिया पर देखने को मिला।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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