
Sitapur: अफसरों से नाराज राज्यमंत्री डीएम ऑफिस के बाहर बैठे, मचा हड़कंप
सीतापुर – अफसरों की कार्यशैली से नाराज कारागार राज्य मंत्री सुरेश राही शनिवार को डीएम ऑफिस के बाहर ही बैठ गए। वे हरगांव थाना क्षेत्र के 170 ग्रामीणों को शांतिभंग में नोटिस जारी होने के विरोध में डीएम से मिलने कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। डीएम के ऑफिस में न होने पर कलेक्ट्रेट परिसर में ही सैकड़ों ग्रामीणों के साथ यह कहते हुए बैठ गए कि डीएम से बिना मिले नहीं जाएंगे। नोटिस एसडीएम सदर ने जारी किया था।
मंत्री सुबह करीब साढ़े 10 बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। उस वक्त डीएम अनुज कुमार संपूर्ण समाधान दिवस के लिए गए हुए थे। जब एसडीएम सदर अनिल कुमार समझाने पहुंचे तो मंत्री ने जमकर खरी-खोटी सुनाई। कहा, बिना जांच के ही नोटिस जारी कर दिया। मंत्री के कलेक्ट्रेट में बैठने की सूचना मिलने पर डीएम करीब 11 बजे दफ्तर लौट आए। पूरे मामले की जांच एडीएम से कराने की बात कहकर मंत्री का गुस्सा शांत कराया। डीएम ने कहा कि जांच के बाद सभी गलत नामों को हटा दिया जाएगा। मंत्री ने डीएम से वार्ता के बाद कहा कि वे जनता की समस्याएं लेकर आए थे। डीएम के इंतजार में बाहर बैठ गए थे।
राही ने कहा- बिना जांच नोटिस, जो यहां नहीं रहते उनके भी नाम
राज्यमंत्री राही के अनुसार एसडीएम सदर ने पिपराघूरी, बक्सोहिया, रिक्खीपुरवा आदि गांवों के जिन 170 लोगों को शांति भांग में नोटिस भेजा है, उसमें से कई यहां रहते ही नहीं हैं। कई महिलाओं के भी नाम हैं। बिना जांच मनमाने तरीके से नोटिस जारी कर दिया गया है।
दरअसल, पिपराघूरी की गोशाला में गोवंश संरक्षण को लेकर पिछले दिनों हुए विवाद में हरगांव पुलिस ने प्रधान के विपक्षी खेमे के कुछ लोगों को जेल भेज दिया था। इसके बाद कुछ अराजकतत्वों ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी थी। इस बीच, प्रशासन ने सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई की तो कई गांवों में तनाव फैल गया। तब प्रशासन ने 170 ग्रामीणों के खिलाफ शांतिभंग का नोटिस जारी कर दिया था। इससे लोगों में गुस्सा था।
‘प्रधानपति का पति हिस्ट्रीशीटर है, जिसे पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। गांव में जो गोशाला है, उसके मवेशी रात में खुला छोड़ देता है। अगर गांववाले आपत्ति करते हैं तो मारपीट करता है। इस मामले में केस हुआ तो प्रधानपति ने क्रॉस केस दर्ज कराया था। बाद में उसने आंबेडकर मूर्ति भी तुड़वाई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मैंने कप्तान से बात की लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। एक और मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ग्राम सभा की जमीन पर कब्जे के एक मामले में 170 लोगों को नोटिस भेज दिया गया। इनमें महिलाएं और बच्चों के भी नाम शामिल थे। एसडीएम ने जांच तक करना जरूरी नहीं समझा। सब अफसर अपनी मनमानी कर रहे हैं।’
- सुरेश राही, कारागार राज्यमंत्री
अफसरों के खिलाफ पहले भी मुखर रहे माननीय
कुछ समय पहले अफसरों पर दलितों के उत्पीड़न व अनदेखी का आरोप लगाते हुए जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने इस्तीफा दे दिया था। मेरठ में दलितों पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने को लेकर धरने पर बैठे। उन्हें मनाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को दखल देना पड़ा।
पीलीभीत के बीसलपुर से विधायक रामशरण वर्मा किसानों के मुद्दे पर जनवरी में तो सरकारी धान खरीद में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लखीमपुर खीरी में भाजपा विधायक अरविंद गिरी ने डीएम ऑफिस पर धरना दिया था।
हरदोई के गोपामऊ से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश अफसरों की शिकायत सीएम से कर चुके हैं। गाजियाबाद के लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर भी पुलिस व प्रशासन के खिलाफ धरना दे चुके हैं। गुर्जर के मामले को लेकर ही 2019 में भाजपा के दो सौ विधायकों ने विधानसभा में सरकार के खिलाफ धरना दिया था।