सोवियत संघ को विखंडित करने वाले मिखाइल गोर्बाचेव का अमेरिका में एक अमेरिकी नागरिक के रूप में मौत हो गई.

1985 में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव बनने के बाद ग्लासनोत्स और पेरेस्त्रोइका के माध्यम से सोवियत संघ को विखंडित करने वाले मिखाइल गोर्बाचेव का अमेरिका में एक अमेरिकी नागरिक के रूप में मौत हो गई.

सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर सेंधमारी करने में अमेरिकी सीआईए को करीब तीस साल लगे थे. इसकी शुरुआत हुई थी सोवियत संघ में स्काच ह्विस्की के प्रवेश से, जिसने थोडे़ ही समय में वोदका को राष्ट्रीय पेय से अपदस्थ कर दिया था. जैसे ही स्काच ह्विस्की सोवियत संघ के लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा था, अमेरिका ने कहा था अंतिम बाजी हम जीतेंगे, और ठीक तीस साल के बाद अपने एजेंट मिखाइल गोर्बाचेव को सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव के रूप में प्रतिष्ठापित करा लिया, जो सोवियत संघ के विघटन का तत्कालिक कारण बना.

मिखाइल गोर्बाचेव ही वह आदमी था जिसने अमेरिका को दुनिया का दारोगा बनवाने में महती भूमिका निभाई थी. इस करिश्मे की शुरुआत उस समय हुई, जब निकिता ख्रुश्चेव ने पार्टी सदस्यता का दरवाजा सबके लिए खोल दिया, जिसकी वजह से प्रति क्रांतिकारी शक्तियों के हिमायती और प्रतिनिधि बड़ी संख्या में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने, और जिन्होंने पार्टी सदस्यों के बीच आम सोवियत नागरिकों की अपेक्षा अपने को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति को जागृत किया, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के बीच अंतर्विरोध उभरना शुरू हुआ, और यही अंतर्विरोध अंततः पार्टी को न सिर्फ खोखला कर दिया, बल्कि उसे अपनी लेनिनवादी विचारधारा से विचलित होकर संसोधनवादी विचारधारा को प्रमुखता दी.

पार्टी के सदस्यों के बीच अपने आप को श्रेष्ठ समझने की प्रवृत्ति एक महामारी बन गई, जिसके कारण आम सोवियत नागरिक अपने आप को उपेक्षित समझने लगे, जो अंततः सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी से उनके दुराव का कारण भी बना. पार्टी विशिष्ट लोगों के हाथों की कठपुतली बन गई और उनके हितों के लिए काम करने वाली एक एजेंसी के रूप में रूपांतरित हो गई.

इन सबके परिणामस्वरूप आमजन के भीतर असंतोष बढ़ता गया, जो अंततः मिखाइल गोर्बाचेव के ग्लास्नोस्त और पेरेस्त्रोइका के माध्यम से सोवियत संघ के विघटन का कारण बना. मिखाइल गोर्बाचेव को लोगों ने तो उसके जीवन में ही भूला दिया था, और इतिहास में भी उसे एक ऐसे खलनायक के रूप में याद किया जाएगा, जिसने महान सोवियत संघ की महान परंपरा को ही पलीता लगा दिया.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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