
तीन साल से बिना प्रयोगशाला के ही हो रहे प्रयोग
एटा। राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा में सुधार कैसे लाया जाएगा, जब शिक्षक और लैब ही नहीं हैं। अमर उजाला ने बुधवार को सहायता प्राप्त विद्यालयों की पड़ताल की तो शहर में स्थित श्री वर्णी जैन इंटर कॉलेज में लैब ही नहीं पाई गई। बिना लैब के ही तीन साल से बच्चों के प्रैक्टिकल कराए जा रहे हैं और बच्चे पास भी किए जा रहे हैं।
शहर के मोहल्ला प्रेमनगर स्थित श्री वर्णी जैन इंटर कॉलेज की स्थापना वर्ष 1952 को हुई थी। विद्यालय शिक्षा के मामले में काफी अच्छा रहा है लेकिन कुछ साल से प्रबंध कमेटी भंग हो जाने की वजह से व्यवस्थाएं बेपटरी हो गई हैं। विद्यालय में हाईस्कूल विज्ञान वर्ग की मान्यता है। इस लिहाज से बच्चों के लिए लैब स्थापित की गई जो करीब तीन वर्ष पहले खंडहर होकर धराशाई हो चुकी है। लैब में रखा सामान तो दूसरे कक्षों में रख दिया गया लेकिन लैब का पुन: निर्माण नहीं कराया जा सका। विद्यालय में शिक्षारत बच्चों को बिना लैब के ही प्रैक्टिकल करा दिए जाते हैं। विद्यालय के एक हिस्से में बना भवन भी क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से उपयोग में नहीं लिया जा रहा। जबकि लैब पूरी तरह से खत्म ही हो गई है।
विद्यालय प्रधानाचार्य मुकेश कुमार जैन ने बताया कि लैब क्षतिग्रस्त होकर ध्वस्त हो गई है। तीन वर्ष से प्रबंध कमेटी भंग चल रही है, इसकी वजह से नई लैब का निर्माण कार्य नहीं हो सका है। कंप्यूटर कक्ष में सामान रख दिया गया है, यहां पर ही बच्चों को प्रैक्टिकल कराए जाते हैं।
बिना लैब कैसे होती हैं प्रयोगात्मक परीक्षाएं
सबसे बड़ा सवाल यह कि विद्यालय में जब लैब नहीं हैं तो बच्चों को प्रैक्टिकल करना कैसे सिखाया जा रहा है? वहीं बोर्ड की प्रयोगात्मक परीक्षाएं कैसे संपन्न हो रहीं हैं? जबकि तीन वर्ष से अधिक समय लैब को खत्म हुए हो चुका है। बिना संसाधनों के प्रयोगात्मक परीक्षाएं कागजों पर कराई जा रहीं हैं और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार आंखें बंद करके बैठे हुए हैं।