
बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की लॉन बॉल की महिला टीम ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया है। हर पदक जीतने वाले खिलाड़ी की तरह अब लॉन बॉल की टीम लवली चौबे, पिंकी, नयनमोनी सैकिया और रूपा रानी टिर्की के साथ भी प्रधानमंत्री वीडियो कॉल पर बात करेंगे, और शायद इन खिलाड़ियों के राज्यों की सरकारें कुछ पुरुस्कार टाइप चीज भी घोषित कर दे।
लेकिन मालूम है कि इन चार महिलाओं ने अपने खर्चे से इंग्लैंड तक का सफर तय किया है? आपको मालूम है कि लवली चौबे झारखंड और नयनमोनी सैकिया असम पुलिस में कॉन्स्टेबल, रूपा रानी टिर्की झारखंड के रामगढ़ में स्पोर्ट्स ऑफिसर और पिंकी दिल्ली के एक स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर की अपनी तनख्वा के भरोसे यहां तक पहुंची है, न कि किसी सरकार ने उनकी मदद की। उन्हें कॉमनवेल्थ तक पहुंचने के बावजूद कोई सरकारी मदद नहीं मिली और हम बड़ी बेशर्मी से इन्हीं खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद कर लेते है।
हमारे गांव, शहर, कस्बों में खेल के मैदान खेल के अलावा हर तरह के काम के लिए उपयोग किए जा रहे है। लेकिन मजाल कि हमारी बेशर्म उम्मीदें अपने खिलाड़ियों से कम हो।
खिलाड़ियों से केवल पदक के बाद वीडियो कॉल नहीं बल्कि उनकी उस यात्रा में भी भागीदार बनने की जरूरत है तब गर्व के साथ उम्मीद कीजिए और गर्व के साथ खिलाड़ियों की जीत पर तालियां बजाइए।