धारा 451 सीआरपीसी | अपराध में शामिल रही प्रॉपर्टी को तब तक हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि “बिल्कुल जरूरी” न हो: सिक्किम हाईकोर्ट

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धारा 451 सीआरपीसी | अपराध में शामिल रही प्रॉपर्टी को तब तक हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि “बिल्कुल जरूरी” न हो: सिक्किम हाईकोर्ट

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????सिक्किम हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी भी अपराध में शामिल संपत्ति की कस्टडी और डिस्पोजल के संबंध में धारा 451 सीआरपीसी के तहत शक्ति का प्रयोग शीघ्र और विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।

????जस्टिस भास्कर राज प्रधान ने कहा, “चूंकि पुलिस द्वारा वाहन की जब्ती एक सरकारी कर्मचारी को सौंपे जाने के बराबर है, विचार यह है कि वाहन को रखने की आवश्यकता समाप्त होने के बाद इसे मूल मालिक को दिया जाना चाहिए। यह दोहरे उद्देश्य की पूर्ति करेगा। वाहन के मालिक को इसके अप्रयुक्त रहने के कारण नुकसान नहीं होगा और अदालत या पुलिस को वाहन को सुरक्षित रखने की आवश्यकता नहीं होगी।

???? याचिकाकर्ता ने यहां अपने स्वामित्व वाली एक बस को छोड़ने की मांग की थी जो एक नाबालिग के अपहरण और बलात्कार के मामले में शामिल थी। ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया था कि वाहन एक महत्वपूर्ण सबूत है और उसी स्थिति में परीक्षण के दौरान पहचान के लिए इसकी आवश्यकता होगी।

????हाईकोर्ट के समक्ष, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बस उसकी आय का एकमात्र स्रोत थी। राज्य ने एक हलफनामा भी दायर किया जिसमें उल्लेख किया गया था कि वाहन सहित जब्त किए गए सभी सामानों का एक जब्ती ज्ञापन गवाहों की उपस्थिति में विधिवत तैयार किया गया था और जांच अधिकारी द्वारा बस के आंतरिक और बाहरी दोनों के साथ-साथ कथित स्थान जहां कथित अपराध किया गया था, की तस्वीरें ली गई थीं।

⬛जब्ती के सभी गवाहों के बयान दर्ज किए गए और बस की फोरेंसिक जांच भी की गई। जांच पूरी हुई और जून 2022 में चार्जशीट दाखिल की गई। उपरोक्त के मद्देनजर कोर्ट ने नोट किया कि सुविधा का संतुलन यह होगा कि सीआरपीसी की धारा 451 के तहत पंजीकृत मालिक को वाहन जारी करने की अनुमति होगी। उद्देश्य यह है कि जहां वाहन (संपत्ति) जो अपराध का विषय रहा है, पुलिस द्वारा जब्त कर लिया जाता है, उसे अदालत या पुलिस की कस्टडी में उस समय से ज्यादा नहीं रखा जाना चाहिए, जो कि बिल्कुल जरूरी हो।

????ट्रायल कोर्ट की इस चिंता के बारे में कि ट्रायल के दौरान पहचान के लिए वाहन की आवश्यकता होगी, कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को वाहन का ‌डिस्पोजल न करने या वाहन का रंग न बदलने का निर्देश देकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि वाहन परीक्षण के दौरान वाहन की पहचान परीक्षण के पूरा होने तक और विशेष न्यायाधीश के विशिष्ट निर्देश प्राप्त किए बिना बाधित नहीं हो।

❇️तदनुसार, याचिका की अनुमति दी गई थी।

केस टाइटल: पेमा टेम्पल भूटिया बनाम सिक्किम राज्य

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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