इस रंग बदलती दुनिया में बच्चो की नीयत ठीक नहीं!दिया न करो ज्यादा तुम मोबाईल बच्चो को कि की नीयत ठीक नहीं..!

इस रंग बदलती दुनिया में बच्चो की नीयत ठीक नहीं!दिया न करो ज्यादा तुम मोबाईल बच्चो को कि की नीयत ठीक नहीं..!

बच्चों के अंदर बदलती प्रवृत्ति को विभिन्न धारावाहिक और फिल्में भी उकसाती..!

इस रंग बदलती दुनिया में बच्चो की नीयत ठीक नहीं
दिया न करो ज्यादा तुम मोबाईल बच्चो को कि नीयत ठीक नहीं..!आज कल जो बच्चो के तौर तरीके व मोबाईल से लगाव नुकसान के अलावा कुछ नही हैं और हम उनपर कोई ध्यान नही दे पा रहें हैं! जिस आयु में बच्चों को खेलना और अपनी पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए उस आयु में व हिंसा करें तो हर किसी को आश्चर्य होता है!हालहि में लखनऊ की घटना से इस बात का पता चलता है कि आखिरकार बच्चों की मानसिक प्रवृत्ति में किस तरह से परिवर्तन आ रहा है!पबजी खेलने के लिए अपनी मां को गोली मार कर दो दिनों के लिए लाश कमरे में बंद कर दी! इस तरह की हिंसा की प्रवृत्ति आखिरकार बच्चों के अंदर भर रही है! कहीं पर अपने माता पिता के पैसे हड़पने नाना नानी, दादा दादी चाचा चाची आदि के साथ समय समय पर विभिन्न तरह की हिंसा देखने को मिलती रही है!बच्चों के अंदर इस तरह की प्रवृत्ति को विभिन्न धारावाहिक और फिल्में भी उकसाती हैं!कोविड 19 महामारी के दौर में शिक्षण संस्थाएं बंद रहीं, तब बच्चे घरों में रहे और उन्होंने विभिन्न तरह के टेलीविजन और विभिन्न तरह के कार्यक्रम देख कर अपना समय व्यतीत किया! आन लाइन शिक्षा के दौरान विभिन्न तरह से मोबाइल इंटरनेट की सुविधाओं वाले अनेक परिवारों में बच्चों के अंदर जिस प्रकार से मानसिक विकास हुआ उसने हिंसा का रूप भी ले लिया!बच्चों की मानसिक प्रवृत्ति में आए इस तरह के बदलाव को देखते हुए जरूरी है कि बच्चों के साथ माता पिता अभिभावक अपना समय व्यतीत करें!अधिक समय तक बच्चों को अकेले न छोड़ा जाए और ज्यादा समय तक मोबाईल ना दिया जाएं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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