जिनके साथ के बिना सत्ता के सिंगासन तक पहुंचना असंभव है उनकी अनदेखी अच्छी बात नहीं

जिनके साथ के बिना सत्ता के सिंगासन तक पहुंचना असंभव है उनकी अनदेखी अच्छी बात नहीं

इन दिनों बीजेपी के सभी सांसद और विधायक पत्रकारों के साथ नज़दीकियां बढ़ाने में मशगूल हैं, क्योंकि वो जानते हैं ये ही वो चावी है जो सत्ता के गलियारे के दरबाजा को खोल सकती है

जब बात पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा की आती है तो सभी सांसद और विधायक मूक दर्शक बन जाते हैं

आख़िर क्या कारण है जो कोई भी सांसद और विधायक सदन में पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा की बात नहीं उठाते

शासन प्रशासन की अनदेखी से अपराधियों द्वारा आये दिन पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। सैकड़ों पत्रकार काल के गाल में समाचुके हैं। जनप्रतिनिधि हैं कि पत्रकारों को अधिकार और सुरक्षा दिलवाने की अपेक्षा पत्रकारों के सहारे अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं

एटा विशेष ब्यूरो :- अब राजनीति करना हँसीखेल नहीं रहा। अब तो वो ही राजनीति कर सकता है जो सातों जातों को साधना जानता है। सत्ता के सिंगासन तक वो ही पहुंच पाता है जिसने मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक) को अपने प्रति सॉफ्ट कर लिया। जब पत्रकारों की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है तो पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा के मुद्दे पर अनदेखी क्यों?
सरकार, शासन, प्रशासन में सभी जानते हैं कि विना पत्रकारों के हमारा काम भी नहीं चलेगा। तभी तो लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अभी से शुरू हो चुकी है। जिसके अंतर्गत सभी सांसद और विधायक पत्रकारों से नज़दीकियां बढ़ाने में लगे हुए हैं। कहीं सरकार की उपलब्धियों को लेकर प्रेस वार्ता तो कहीं पत्रकारों के सम्मान में रात्रि भोज का आयोजन किया जा रहा है। परंतु, किसी भी कार्यक्रम में पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं, आखिर क्यों?
मेरा पत्रकार भाइयों से निवेदन है कि वे जब भी किसी भी कार्यक्रम में सांसद और विधायकों से मिले तो पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा के मुद्दे पर प्रश्न जरूर करें। साथ ही उनसे पूछे पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा के मुद्दे पर अभी तक सदन में सवाल क्यों नहीं उठाया? आख़िर मूकदर्शक बने रहने की क्या मज़बूरी है?
यदि बात करें उत्तर प्रदेश में लॉयन एंड ऑर्डर की तो पत्रकारों के मामले में अब प्रदेश में अपराधी बुलडोजर वाले बाबा से ख़ौफ नहीं खाते इसका जीवंत उदाहरण है मेरठ के पत्रकार पर जानलेवा हमला। पत्रकारों पर होने वाले जानलेवा हमले की फ़हरिस्त में मेरठ के पत्रकार रक्षित दीक्षित (धारा न्यूज़ हिन्दी समाचार पत्र) पर 5 जून को धार दार हथियार से जानलेवा हमला किया गया। पुलिस ने 307, 506 की धाराओं में मुकद्दमा पंजीकृत किया। परंतु, ये मुकद्दमा भी तब लिखा गया जब पूरे देश के पत्रकार एकजुट होकर सक्रिय हुए।
इससे पूर्व भी कई पत्रकारों के साथ अपराधिक वारदातें होती रही हैं। वाबजूद इसके कोई भी सांसद, विधायक या सरकार पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा के मुद्दे पर सकारात्मक पहल नहीं करते। अब समय आ गया है जब हम सब को एक जुट होकर उन सभी जनप्रतिनिधियों का भहिष्कार करना होगा जो पत्रकारों के अधिकार और सुरक्षा की बात सदन में न उठाएं अथवा सरकार तक इस गम्भीर समस्या को न पहुँचाए। याद रखिये इस माहौल में कोई भी सुरक्षित नहीं न आप न हम। पत्रकारों को अधिकार और सुरक्षा दिलाने के लिए हमारे प्रयास लगातार जारी हैं। आप क्या कर रहे हैं…………….?

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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