ये है भविष्य के बिवेकानंद,और देश, समाज, परिवार, के कर्णधार—

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ये है भविष्य के बिवेकानंद,और देश, समाज, परिवार, के कर्णधार—
ये बच्चे मुस्किल से 10या12सालके रहे होगें, सर्मनाक इन बच्चों के हाथो मे किताबें होनी चाहिये थी उन बच्चों के हाथों मे सिगरेट लगी हुई है आखिर दोषी कौन है परिवार, ब्यापार, या फिर अंधा बहरा शासन, और प्रशासन, जिन्हें दिखाने के बाद भी दिखाई नहीं देता लेकिन समय रहते मेरे घरके बाहर से यह धंधा बंद होना चाहिये या सिर्फ बिक्री तक सीमित हो यहां कोई खड़े होकर धूम्रपान नहीं करे यहाँ तो बैठना निकलना मुस्किल कर दिया है इस गंदे धंधाखोर ने एक तरफ सरकार महिला हितैषी बन रही है तो दूसरी तरफ सभ्य घरों के सामने खड़े होकर मासूम बच्चे और पुरूष धूम्रपान करते है साथ मे वहां से निकलने बाली लड़कियों और महिलाओं को बुरी नजर से घूरते भी है और सामने बाले घरों मे सीधी नजर से मनचाही भूमिका भी बनाते है क्यों कि यहां हर तरह के नशेडी़ आते है हमारे घरमे भी बहू बेटियां है जो अपने ही घरके सामने कभी स्वतंत्र होकर खडी़ नही हो सकती फिर सरकार किस महिला सुरक्षा की बात करती है।
लेखिका, पत्रकार, दीप्ति चौहान।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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