आज पत्रकारिता को बहुत ही हीन भावना से देखा जा रहा है

30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस
हमारे देश के चार लोकतंत्र स्तंभ है पहला स्तंभ है विधायिका (संसद) इसका काम होता है कानून बनाना और दूसरा स्तंभ होता है कार्यपालिका कार्यपालिका का काम होता है विधायिका( संसद) में जो कानून पारित किया गया है उसका पालन कराना और और तीसरा स्तंभ होता है न्यायपालिका न्यायपालिका का काम होता है जो कोई कानून ना माने उसको सजा देना और चौथा स्तंभ होता है पत्रकारिता जिसका काम होता है किसी भी गलत कार्य होने पर उसको दिखाना यह चारों स्तंभ पर देश चलता है और यह सभी एक अहम है लेकिन आजकल पत्रकारिता को बहुत ही हीन भावना से देखा जा रहा है कोई पत्रकार अगर सच्चाई दिखाना चाहता है तो उसकी आवाज को दबा दिया जाता है अगर देश के चौथे स्तंभ को बचाना है तो पत्रकार के ऊपर मुकदमा लिखने से पहले उसकी गहनता से जांच होनी चाहिए जिससे कोई भी पत्रकार अपनी बात को बिना डरे रख सके पत्रकार की आवाज दबाने की वजह से ही देश में भ्रष्टाचार ज्यादा फैल रहा है क्योंकि उस को उजागर करने वाले पर ही मुकदमा ठोक दिया जाता है या उसको मारपीट करके डरा दिया जाता है या उस को मौत के घाट उतार दिया जाता है अगर देश में पत्रकारों को पत्रकार सुरक्षा कानून दिया जाए तो देश में एक भी भ्रष्टाचार नहीं हो सकता अगर भ्रष्टाचार नहीं होगा तो पत्रकार साथी समाज की भी बहुत अच्छे से सेवा कर सकते है I

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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