वकीलों द्वारा आहूत हड़तालों पर ध्यान न दें अदालतें: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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वकीलों द्वारा आहूत हड़तालों पर ध्यान न दें अदालतें: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी भी अदालत को वकीलों द्वारा बुलाई गई हड़ताल या संभावित हड़ताल पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

????इस संदर्भ में न्यायमूर्ति जे जे मुनीर अदालत की खंडपीठ ने परिवार न्यायालय, हाथरस के प्रधान न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा, जिन्होंने वकीलों द्वारा बुलाई गई संभावित हड़ताल को स्वीकार करते हुए तलाक के मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी।

हाईकोर्ट के अनुसार, पारिवारिक न्यायाधीश की कार्यवाही स्थगित करने की कार्रवाई कदाचार के बराबर है।

????कोर्ट ने ये टिप्पणियां अनुच्छेद 227 के तहत दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें पत्नी से तलाक की मांग करने वाले धारा 13 हिंदू विवाह अधिनियम में दायर याचिका में देरी के संबंध में था।

????अप्रैल 2022 में पार्टियों के बीच मध्यस्थता का प्रयास किया गया और मई में सुनवाई के लिए मुकदमे में तारीख़ तय किया गया। इस संदर्भ में हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट से ट्रायल आगे बढ़ाने को कहा था।

⬛फिर जब 23 मई को हाईकोर्ट ने संबंधित न्यायाधीश की रिपोर्ट पर गौर किया, तो उसने पाया कि 21 मई में वकीलों द्वारा बुलाए गए संभावित हड़ताल के कारण मामले को 8 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

????कोर्ट ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश को अदालत को स्पष्टीकरण देना है कि उसने हड़ताल के कारण मामले को स्थगित क्यों किया।

✡️कोर्ट ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश को एक रिपोर्ट के माध्यम से अपने आचरण की व्याख्या करनी चाहिए।इस प्रकार देखते हुए, अदालत ने मामले को 27 मई के लिए सूचीबद्ध किया।

शीर्षक: प्रेमराज प्रताप सिंह बनाम अलका सिंह
मामला संख्या: 2022 के अनुच्छेद 227 संख्या 2850 के तहत मामला

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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