पहचान,
नाम,शोहरत,
सिद्धि और प्रसिद्धि!
एक ऐसा नशा है,
जो
छूटे नहीं,छूटता.
आज की दुनियां में
आभासी
शोहरत के पीछे
कहुीं आप अपना
चैन -अमन और शांति तो नहीं खो रहे हैं ? ? ?
ध्यान दें
और
गौर करें_
(१) सफल होकर भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है.

(२) कुछ दिन की सिद्धि-प्रसिद्धि के बाद खालीपन आपकै जीवनको खण्ड-खण्ड करके तोड़ सकता है.
(३) अधिक दिनों तक बनावटी एवं कृत्रिम ज़िन्दगी जीना आपको मानसिक बीमारियों का शिकार बनाकर जीवन भर के लिये मनोरोगी बना सकता है.
(४)प्रसिद्ध होना अथवा होने की आकांक्षा (चाह) एक प्रकार की जल्दबाज़ी या मानसिक विकार है.
(५) मोबाइल! आपका मित्र है,सखा है और दोस्त भी है ,पर तभी तक जब तक आप उसका सीमित रूप में
प्रयोग करेंगे. सकारात्मक एवं सार्थक ऊर्जा प्राप्ति केलिये इसका प्रयोग करेंगे. इससे आपके समय की
बचत होगी. आपके धन की बचत होगी और आप सदा
आनंद और लाभ से मानसिक रूप से भरे रहेंगे.
(५) मोबाइल के असीमित प्रयोग से आपके स्नेहीजनों से
रिश्ते-नाते टूटने और बिखरने लगते हैं.आपका ध्यान केवल और केवल मोबाइल में लगा रहता है. आपका बहुमूल्य समय बर्वाद का असमय शिकार होने लगताहै. आप इसके असीमित प्रयोग से अपने परिजनों से भी दूर होने लगते हैं. अत:स्पष्टत:” मोबाइल ” आपका शत्रु बन जाता है. साथ ही परिवार में ये “कलह का कारण” भी बन जाता है. ???????? *डॉ. श्रीकृष्ण 'शरद'*
वरिष्ठ उदघोषक(से.नि.) ,अकाशवाणी-मथुरा -वृन्दावन