ऐसे ही नाराज नहीं हैं आजम,अखिलेश यादव के इन फैसलों से हैं नाराज

ऐसे ही नाराज नहीं हैं आजम,अखिलेश यादव के इन फैसलों से हैं नाराज

लखनऊ।समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री मुहम्मद आजम खान समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से काफी नाराज हैं,लेकिन ये नाराजगी ऐसे ही नहीं है। नाराजगी की काफी वजह हैं, जो खुद बोल भी नहीं रहे हैं, लेकिन आजम खान का मानना है कि पार्टी मुखिया अखिलेश यादव की इन्हीं खामियों के कारण समाजवादी पार्टी सत्ता में नहीं आ पाई और इसका खमियाजा पूर्व कैबिनेट मंत्री के साथ ही पार्टी के नेता-कार्यकर्ता,मुस्लिम और यादवों को भुगतना पड़ रहा है।

मुस्लिम नेताओं को भी कर रहे नजर अंदाज

आपको बता दें कि रामपुर शहर से 10 बार विधायक और एक बार लोकसभा सांसद चुने जाने वाले मुहम्मद आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं।मुख्यमंत्री के लिए पहली बार सबसे पहले मुख्यमंत्री के तौर पर मुलायम सिंह यादव का नाम आजम खान ने ही रखा था।आजम खान कई बार पार्टी से नाराज हुए, लेकिन कभी पार्टी नहीं छोड़ी।मुलायम सिंह यादव आजम खान के कद्रदान थे और मुस्लिमों के साथ ही पार्टी के मामलों में भी सलाह लेते थे।इसका पार्टी को फायदा भी मिलता था,लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव आजम खान के साथ ही मुस्लिम नेताओं को भी नजर अंदाज कर रहे है।

कम दिया मुस्लिमों को टिकट

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 और 2017 में 100 से ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था।इनमें बड़ी संख्या में जीते भी थे, लेकिन इस बार सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लगभग 70 मुस्लिमों को टिकट दिया था।इनमें लगभग 35 विधायक बने।सियासी पंडितों का मानना है कि अगर सपा मुस्लिम और ओबीसी को और टिकट देती तो विधायको की संख्या बढ़ती।इससे सरकार बनना तय थी।

नहीं होता इतना नुकसान

आजम खान के एक करीबी ने नाम न ओपन करने की शर्त पर बताया कि अगर अखिलेश यादव आजम खान के मामले में आंदोलन करते तो वह इतने दिन जेल में नहीं रहते और जौहर यूनिवर्सिटी को भी नुकसान नहीं होता। अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव से पहले ही मुसलमानों को नजर अंदाज कर रहे थे। अखिलेश यादव सपा के पीलीभीत शहर से छह बार के विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री रियाज अहमद और उनकी बेटी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रुकैया की मौत के बाद उनके घर दो साल बाद तक नहीं गए।उनके बेटे डॉ. शाने अली को टिकट भी नहीं दिया।इसके साथ ही टोपी-दाढ़ी वाले मुसलमानों के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत यादवों से परहेज करते थे।इसके चलते ही आजम खान अखिलेश यादव को मुसलमानों और यादवों से परहेज न करने की सलाह दी थी,लेकिन अखिलेश यादव ने सलाह नही मानी।इससे बड़ी संख्या में यादव वोट नाराज होने लगा था,लेकिन मुसलमानों ने भाजपा को रोकने के चक्कर सपा के पक्ष में वोटिंग की थी। आजम खान ने विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर समय-समय पर सुझाव भेजे थे,लेकिन इन सुझाव को भी अखिलेश यादव नजर अंदाज कर दिया था।टिकट वितरण के दौरान आजम खान के करीबी मजबूत प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया था।इससे भी काफी तकलीफ हुई।

संघ ने लोगों को भेजकर कराया गुमराह

पुराने सपाइयों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव को संघ ने अपने लोगों को भेजकर गुमराह कर दिया था।चुनावी एजेंडा बनाने से लेकर टिकट वितरण तक में अखिलेश यादव ने पार्टी के पुराने और अनुभवी नेताओं से कोई राय नहीं ली।उनको टिकट काफी मशक्कत के बाद सबसे अंत में दिया।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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