देव ऋषि नारद जयंती पर एक पत्रकार की कलम से ????️
स. संपादक निशाकांत शर्मा

नारद मुनि ब्रह्मा जी के 7 मानस पुत्रों में से एक हैं. उन्हें सृष्टि के पहले पत्रकार के रूप में जाना जाता है उन्हें
देवर्षि , ब्रह्मनंदन , सरस्वतीसुत , वीणाधर आदि नामों से भी जाना जाता है ,नारद मुनि ने अपने जीवन में सूचनाओं का जो भी आदान प्रदान किया, वो हमेशा लोगों के हित को ध्यान रखते हुए किया. आज नारद जयंती के मौके पर आप सभी को वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक एवम् साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं साथ ही जानिए आखिर क्यों नारद मुनि को एक सच्चे पत्रकार के तौर पर जाना जाता है! हमारे भारतीय संविधान का चौथा स्तंभ यानी जिस पर हमारे देश की व्यवस्था टिकी है आप कुर्सी ही मान लें और कुर्सी का एक पाया तोड़ दें फिर बैठ कर देखें बेहद सुंदर अनुभव होगा बस वही है आज की सच्ची तस्वीर संविधान का मतलब सम यानी बराबर विधान का मतलब व्यवहार, रचना, निर्माण, प्रयोजन मतलब बराबर का व्यवहार या उद्देश्य तो आज नारद जयंती पर तमाम दिग्गज नेताओं अधिकारियों ने पत्रकारों के लिए बड़े मीठे लुभावने अंदाज में वक्तव्य दिए परन्तु सच क्या है आप जानते ही हैं ,
लोकतंत्र के चार स्तंभ 1 ) . पहला स्तंभ ( विधायिका ) : लोकतंत्र का पहला स्तंभ विधायिका है जो कि कानून बनाने का काम करती है लोगों द्वारा चुने गए महत्वपूर्ण व्यक्ति विधायिका के रूप में कानूनों का निर्माण करते हैं तथा पूरी जिम्मेवारी लेते हैं कि जो कानून वे बना रहे हैं वह हर तरह से जनता के हित में हो तथा किसी भी समुदाय का शोषण करने वाला न हो । यह कानून शासक व प्रजा दोनों के लिए मान्य होता हैं । 2. ) दूसरा स्तंभ ( कार्यपालिका ) : विधायिका द्वारा बनाए गए कानून को लोगों तक पहुँचाना व कानून को बरकरार रखना कार्यपालिका का काम होता है । 3 ) . तीसरा स्तंभ ( न्यायपालिका ) : बनाए गए कानूनों की व्याख्या करना व कानून का उल्लंघन होने पर सज़ा का प्रावधान करना न्यायपालिका का कार्य होता है । इससे कोई भी व्यक्ति शक्ति के आधार पर कानून का उल्लंघन करने में असमर्थ हो जाता है । बाकी चौथे स्तंभ की पीड़ा आप सभी से अपरिचित नही है जिसे ना तो सैलरी मिलती है ना ही आवास ना सुरक्षा ना पेंशन , ना वाहन फिर भी बिकाऊ मीडिया, गोदी मीडिया कहने के साथ साथ सरकारों के गलत कारनामों को उजागर करने के परिणाम स्वरूप शासन प्रशासन की ओर से इनाम में फर्जी मुकदमों की सौगात मिलती है !
बड़ी शर्मनाक बात यह है कि जिनके लिए पत्रकार सदैव समर्पित रहता है वह जनता भी विकास पुरुषों का गुणगान करती है पत्रकार का साथ नहीं देती !
पत्रकार रचनाकार का सहोदर , भाई है। वो अक्षर संधान कर सत्य को जन्म देता है किन्तु पूंजीपति सौदागर होता है, वो नफे-नुकसान के आधार पर ही विषय वस्तु के संदर्भ में निर्णय करता है। लिहाजा वो अपनी बाजारू महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ही कई स्तर पर समझौते भी करता है और उसके समझौते सत्य की पूंजी को बाजार में नीलाम कर देते हैं। आप बताओ सच है या नहीं ?
खबरों के अन्वेषण के स्थान पर आज उनका निर्माण किया जा रहा है। निर्माण में सत्यशोधन न होकर मात्र प्रहसन होता है और प्रहसन कभी प्रासंगिक नही होता। वो तो समाज को सत्य से भटकाता है और सत्य से भटका हुआ समाज कभी परम वैभव , खुशहाली को प्राप्त नही होता। कभी राज नेताओं की कृपा प्राप्ति के लिए सेना को ही बागी बनाते हैं, तो कभी जन सरोकारों को नजरअंदाज कर चटपटी खबरें परोस कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। सच में कहा जाये तो ये पत्रकारिता जगत की स्वतंत्रता नहीं पूंजीपतियों की स्वतंत्रता है। जो अपने लाभ के लिए मीडिया शक्ति का दुरुपयोग करते हैं और ऐसे में बेरोजगारी और मंहगाई के दौर में बेचारा खबरनवीस सबकुछ सह कर भी काम करने को विवश है। मैं सभी राष्ट्र प्रेमी पत्रकारों की कर्तव्य निष्ठा को नमन करता हूं????????
पत्रकार स्वयं सहायता समूह द्वारा प्रेषित