
हाईकोर्ट का फैसला: बाहर हुए समझौते से नहीं खत्म होता कोर्ट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पति पत्नी के बीच न्यायालय के बाहर हुए समझौते से कोर्ट आदेश समाप्त नहीं होता बशर्ते कोर्ट की मंजूरी न मिली हो। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि कोर्ट ने बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार 10 साल की आयु तक मां को ही सौंपा है। कोर्ट के बाहर हुआ समझौते से वह आदेश खत्म नहीं होगा।
कोर्ट ने बच्चे की इच्छा भी पूछी कि वह किसके साथ रहना पसंद करेगा तो उसने मां के साथ जाने की इच्छा जताई। इस पर कोर्ट ने पति को बच्चे की अभिरक्षा मां को सौंपने का निर्देश दिया और कहा कि 10 साल की आयु तक बच्चा मां की अभिरक्षा में रहेगा। मामले के तथ्यों के अनुसार पति-पत्नी (डॉ अभिजीत कुमार-डॉ श्वेता गुप्ता) के बीच विवाद पर दोनों अलग रहने लगे। पिता ने नाबालिग बच्चे की अवैध निरुद्धि से मुक्त करने की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की। कोर्ट ने कहा बच्चा 10 साल की आयु तक मां के साथ रहेगा। पिता व दादा सप्ताह में एक दिन तीन घंटे के लिए दोपहर में मिल सकेंगे। कोर्ट ने पति की ओर से जमा कराए गए 15 हजार रुपये मां को देने का आदेश दिया।
28 नवंबर 2019 के इस आदेश के बाद 29 फरवरी 2020 को दोनों में साथ रहने का समझौता हो गया और साथ रहने लगे लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं चला। फिर झगड़ा होने लगा तो पत्नी ने घर छोड़ दिया लेकिन पति ने बच्चा अपने पास रख लिया। इस पर पत्नी ने बच्चे की अभिरक्षा न सौंपने पर पति व अन्य के खिलाफ अवमानना का मुकदमा किया। पति की ओर से तर्क दिया गया कि समझौते के बाद कोर्ट का आदेश उसी में निहित हो गया। पत्नी अभिरक्षा के लिए वाद दाखिल कर सकती हैं। पत्नी की ओर से कहा गया कि पंजीकृत समझौता कोर्ट में नहीं हुआ है। कोर्ट के बाहर हुए समझौते से बच्चे की अभिरक्षा पर कोर्ट के आदेश पर असर नहीं पड़ेगा।