
यूपी के 36 लाख घरों को लेकर सीएम का बड़ा आदेश, जानें क्या बोले योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि जलशक्ति मिशन के कार्यों का अधिकारी व मंत्री साप्ताहिक रूप से समीक्षा करें। कोशिश की जाए कि मार्च 2024 तक हर राजस्व ग्राम के हर घर में पीने का साफ पानी उपलब्ध हो। केंद्र व राज्य सरकार साथ मिलकर जलशक्ति, स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे परियोजनाओं के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन करें। केंद्र की टीम को ‘टीम यूपी’ का पूरा सहयोग दिया जाए।
23 हजार गांवों में काम छह माह में करें पूरा
मुख्यमंत्री गुरुवार को सरकारी आवास पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ आयोजित बैठक में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 23 हजार गांवों में जहां कार्य जारी हैं, उन्हें 6 माह के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखें। जिन 18,629 गांवों के लिए डीपीआर तैयार है, उनकी राज्य स्तरीय कमेटी से स्वीकृति हर हाल में एक माह के भीतर ले ली जाए। जल जीवन मिशन के लिए विलेज एक्शन प्लान ग्राम पंचायत के बजाय राजस्व गांवों के स्तर पर बनाया जाए। सभी 97 हजार राजस्व गांवों में काम को तेजी से पूरा किया जाए।
वाटर टेस्टिंग के कार्य से स्थानीय जल समितियों को जोड़ा जाए। महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर उन्हें भी इस कार्य में शामिल किया जाए। जल जीवन मिशन और नमामि गंगे परियोजनाओं के कार्यों का जिलाधिकारी स्तर पर सतत अनुश्रवण किया जाए। यथाशीघ्र राज्य स्तर पर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) नियुक्त की जाए। उन्होंने कहा कि ‘हर घर नल-हर घर जल’ के तहत शेष घरों को भी पाइप्ड पेयजल की सुविधा मिलने लगेगी। इस कार्य को समयबद्धता के साथ चरणबद्ध रूप से पूरा किया जाए।
कामकाज में लाएं पारदर्शिता
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि हमें स्थलीय निरीक्षण की व्यवस्था को और मजबूत करना होगा। कार्यपद्धति में पूरी शुचिता और पारदर्शिता होनी चाहिए। जल जीवन मिशन से 100 फीसदी संतृप्त गांवों का पारदर्शिता के साथ सत्यापन होना चाहिए। जब गांव के हर एक घर में नल से जल आना शुरू हो जाए, पानी पर्याप्त हो और गुणवत्ता संतुष्टिपरक हो। तब वहां ग्राम पंचायत की बैठक आयोजित कर लाभान्वित लोगों की संतुष्टि का स्तर आंका जाए। वीडियोग्राफी भी कराई जाए। अगर एक भी उपभोक्ता असंतुष्ट है तो उनकी अपेक्षाओं को पूरा किया जाए।
आर्सेनिक, फ्लोराइड, खारापन, नाइट्रेट, आयरन के कारण गुणवत्ता प्रभावित जल वाले क्षेत्रों के सुधार के लिए केंद्र सरकार अतिरिक्त वित्तीय सहायता दे रही है। इन क्षेत्रों में कार्य तेज किए जाएं। शुचिता और पारदर्शिता के मद्देनज़र यह सुनिश्चित कराया जाए कि विकास परियोजनाओं के लिए डीपीआर तैयार करने वाली संस्था परियोजना के क्रियान्वयन, निर्माण के लिए होने वाली टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लें। इस व्यवस्था पर कड़ाई से अमल किया जाए। बांध के पुनरुद्धार और सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई रियोजना में अधिकाधिक बांधों को शामिल कराया जाए। परियोजना से आजीविका के लिए बांधों के जलक्षेत्र पर निर्भर शहरी और ग्रामीण समुदाय के लोगों को मिलेगा। बांधों में सिल्ट की समस्या के स्थाई निदान के लिए ठोस प्रयास किए जाएं।