
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस डीके उपाध्याय और सुभाष विद्यार्थी की अदालत ने ताजमहल के 22 कमरे खोलने की सुनवाई पर याचिकाकर्ताओं से कहा कि
“वह अपनी याचिका तक ही सीमित रहें. आज आप ताजमहल के कमरे देखने की मांग कर रहे हैं कल को आप कहेंगे कि हमें जज के चेंबर में जाना है , अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह जाएं और एमए, नेट जेआरएफ करें और उसके बाद शोध में ऐसा विषय चुनें। फिर अगर कोई संस्थान उन्हें यह शोध करने से रोके तो हमारे पास आएं।
कोर्ट ने तंज कसा कि “कल को आप कहेंगे हमें माननीय न्यायाधीशों के चेंबर में जाना है।कृप्या पीआईएल सिस्टम का मजाक मत बनाइए”
याचिकाकर्ता ने कहा कि मुझे थोड़ा वक्त दें, मैं इस पर कुछ फैसले दिखाना चाहता हूं. इस पर अदालत ने कहा कि यह याचिका मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है और अब आप ये सब कर रहे हैं. इस मुद्दे पर आप मेरे घर आइए और हम इस पर बहस करेंगे लेकिन अदालत में नहीं. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 2 बजे तक का समय दिया है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने याचिका का विरोध किया है।