
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसान भाइयों से अपील है कि अपने खेत की ग्रीश्म कालीन जुताई करें एवं खेती लागत को कम करते हुये गुणवत्ता पूर्ण उपज को पायें एवं अधिक लाभ प्राप्त करें
एटा। जिला कृषि रक्षा अधिकारी मनोज कुमार ने यह जानकारी देते हुये बताया है कि परम्परागत विधियां यथा- कतार में बुआई, फसल चक्र, सहफसली खेती, ग्रीष्म कालीन जुताई आदि कम लागत में गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिये महत्वपूर्ण है। उनको अपनाने से जल, वायु, मृदा और पर्यावरण प्रदूषण में व्यापक कमी होती है। कीट एवं रोग नियंत्रण की आधुनिक विधा एकीकृत नाशी जीव प्रंबधन के अन्तर्गत भी इन परम्परागत विधियों को अपनाने पर बल दिया जाता है। रबी फसलों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई आगामी खरीफ फसल के लिये अनेक प्रकार से लाभकारी है।
उन्होनें बताया है कि ग्रीष्मकालीन जुताई मानसून आने से पूर्व मई-जून महीने में की जाती है ग्रीष्म कालीन जुताई से लाभ होते है ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है।जिससे मृदा की जल धारण क्षमता बढ जाती है। जो फसलों के लिये अत्यंत उपयोगी होती है। खेत की कठोर परत को तोड कर मृदा को जड.ों के विकास के लिये अनुकून बनाने हेतु ग्रीष्म कालीन जुताई अत्यन्त लाभकारी है। खेत में उगे हुये खरपतवार एवं फसल अवषेश मिट्टी में दब कर सड जाते है। तथा जैविक खाद में परिवर्तित हो जाते है जिससे मृदा में जीवांष्म की मात्रा बढती है। मृदा के अन्दर छुपे हुये हानिकारक कीडे, एवं उनके अण्डे, लार्वा, प्यूपा एवं खरपतवार के बीच गहरी जुताई के बाद सूर्य की तेज किरणों के सीधे सर्म्पक में आने से नश्ट हो जाते है जिससे फसलों को कीटनाशक एवं खरपतवारनाशी रसायनों का कम उपयोग करना पडता है। गर्मी की गहरी जुताई के उपरान्त मृदा में पाये जाने वाले हानिकारण जीवाणु, कवक, निमेटोड एवं अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव मर जाते है जो फसलों में मृदा जनित रोगों के प्रमुख कारक होते है। निमेटोड का नियंत्रण करने हेतु कीट नाशकों का प्रयोग खर्चीला होता है। परन्तु ग्रीष्मकालीन जुताई से इनका नियंत्रण बिना किसी अतिरिक्त लागत के हो जाता है। मृदा में वायु संचार बढ जाता है, जो लाभकारी सुक्ष्म जीवों की बृद्धि और विकास मेें सहायक होता है जिससे फसलों के गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन में लाभ मिलता है। मृदा में वायु संचार बढने से खरपतवार नाषी एवं कीटनाषक रसायनों के विशाक्त अवशेष एवं पूर्व फसल के जडों द्वारा छोडे गये हानिकारक रसायनों के अपघटन में सहायक होती है
उन्होनें किसान भाइयों से अपील है कि अपने खेत की ग्रीष्म कालीन जुताई करें एवं खेती लागत को कम करते हुये गुणवत्ता पूर्ण उपज को पायें एवं अधिक लाभ प्राप्त करें।