ज्ञानवापी मस्जिद में आज सर्वे टीम प्रवेश नहीं कर पाई,

ज्ञानवापी मस्जिद में आज सर्वे टीम प्रवेश नहीं कर पाई, बताया जा रहा है कि वहां पहले से मौजूद मुस्लिम पक्ष के लोग अंदर नहीं जाने दिए…………………

इस बात के दो मतलब निकलते हैं…एक तो ये कि वहां मौजूद 20% मुस्लिम 80% हिंदू पर भारी पड़ गए और दूसरा ये कि वहां मौजूद हिंदू कमजोर नहीं बल्कि सहिष्णु और न्यायप्रिय है।

पहले पक्ष से मैं सहमत नहीं हूं, वहां मौजूद मुस्लिम भारी पड़ गए और हिंदू कमजोर, ऐसा मैं नहीं मानता…हिंदू कमजोर होता तो आज हिंदू धरती पर होता ही नहीं, हिंदू कमजोर होता तो बाबरी मस्जिद का ढांचा ध्वस्त नहीं होता और आज भव्य राम मंदिर नहीं बन रहा होता…हिंदू बाई डिफॉल्ट सहिष्णु और न्यायप्रिय होता है, बस बात इतनी सी है…हिंदुओं के अंदर सब्र कूट-कूट कर भरा होता है, ये कमजोरी की निशानी नहीं मानी जा सकती।

9 मई को अगली तारीख है, हिंदू पक्ष अपने बात को अदालत में रखेगा…केवल हिंदू पक्ष ही नहीं, अदालत के द्वारा नियुक्त कमिश्नर भी अपनी बात रखेंगे…”तेल लगाकर डाबर का, नाम मिटा दो बाबर का”, ये सही है पर इसका भी एक तरीका है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बाबा हैं…क्या बाबा तक ये जानकारी पहले ही नहीं पंहुच गई होगी कि मस्जिद के अंदर काफी लोग मौजूद हैं जिनका इरादा है सर्वे नहीं होने देना? बाबा को सब जानकारी मिला होगा, फिर भी उनकी पुलिस शांत रही तो जरूर कोई बात होगा…आज हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन जी का ब्यान सुना आप लोगों ने, उन्होने कहा हम बोलते रह गए पर वे लोग नहीं सुने, नहीं जाने दिए अंदर, प्रशासन भी उनको हटाने का प्रयास नहीं की…विष्णु जैन जी ने गलत नहीं कहा और ना ही प्रशासन ने गलत किया…आज मुस्लिम पक्ष कार्यवाई को रोककर खुद में बहुत कमजोर हो गए अदालत के सामने।

मुझे पूरा विश्वास है कि आज जो कुछ हुआ उसका बहुत ज्यादा फायदा मिलना है निकट भविष्य में, ऐसा नहीं होता तो दो मिनट का काम था बाबा के पुलिस के लिए, एक आदमी नहीं दिखता विरोध करने वाला…जो कुछ भी हुआ वो करने दिया गया, ऐसा मेरा मानना है और ये लाभ पंहुचाएगा आने वाले समय पर।

कमजोर-वमजोर नहीं है हिंदू, अपने पे जब आ जाता है तो 800 साल राज करने वाला हो या 200 साल राज करने वाला, उल्टे पांव भागता नजर आता है…एक हिंदू अपने पे आ जाता है तो पलक झपकते ही धारा 370 गायब हो जाता है, एक हिंदू अपने पर आ जाता है तो मुख्तार-अतीक जैसे लोग बाप-बाप करता नजर आता है, कुछ हिंदू अपने पे आ जाता है तो भव्य राम मंदिर बनने लगता है, कुछ हिंदू अपने पे आ जाता है तो बॉलीवुड समाप्त होने के कगार पर आ जाता है…हिंदू जब अपने पे आता है तो देश में कॉमन सिविल कोड के लेकर बात होने लगता है, हिंदू जब अपने पे आता है तो पूरे देश का मिजाज बदल जाता है…कैसे मान लें हिंदू कमजोर है?

पूरे उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर उतर रहा है, उतर रहा है छोड़िए, लोग अपने से उतार रहे हैं…पूरे उत्तर प्रदेश में एक भी जगह पर पिछले दिनो सड़क पर नमाज नही पढ़ा गया…आज दो-चार सौ या पांच सौ लोग रोक लिए मस्जिद के अंदर जाने से…सुनकर आप पचा ले जा रहे हैं क्या?

वो नहीं रोके, हम रूक गए या कह लें उनको इतना छूट प्रदान किया गया…इंतजार कीजिए! अपने ही हिंदू भाई को हिजड़ा या उल-जुलूल बोलकर शिघ्रपतन का शिकार मत बनिए।

मोदी जी ने विश्वनाथ कॉरिडोर से खड़े होकर औरंगजेब को आतातायी कहा, एक बार नहीं कई बार कहा…आपको क्या लगता है कि इसके कोई मायने नहीं हैं…जिस बाबा के नाम भर से लोग लाउडस्पीकर खुद से उतार रहे हैं, उनके लिए ये दो-चार सौ मायने रखते हैं क्या?

आप कुछ भी गलत कह रहे हैं अपने भाई के लिए तो मानकर चलें कि वो अपने लिए कह रहे हैं, खुद को कमजोर कर रहे हैं…जो हो रहा है होने दीजिए, समर्थन कीजिए…विश्वास रखिए सही होगा…नहीं होगा तो आएंगे अपने पर और फिर करेंगे अपने मन की…सभी चीजें मैगी नहीं कि दो मिनट में हो जाए।

वो मंदिर था, है और रहेगा…लगा लेने दीजिए जोर जितना लगा सकते हैं…रस्सी खिचने वाला खेल है, एक तरफ 50 करोड़ और दूसरे तरफ 90 करोड़…एक-आध बार हल्का झटका जरूर दे सकते हैं पर जीत नहीं पाएंगे।

आज ये सवाल और मजबूत हो गया और बहस का विषय बन गया कि मुस्लिम पक्ष क्यों रोक रहे हैं अंदर जाने से? ये पहली जीत आज की हमारे लिए।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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