
#युवा देश,और समाज के भविष्य की कस्ती के पतवार होते है और जब यही डूब रहे है तो—
#यूपीएटा,
बेरोजगारी मैन मुद्दा बन जाता है जिंदगी के भटकाव के लिये तब सरकारों को चाहिये समय रहते जो इंसान जिस लायक हैको रोजगार देना सुनिश्चित करे क्यों रोजीरोटी के लिये ही आदमी लक्ष्य से भटक जाता है और सोचने की शक्ति कमजोर हो जाती है आजके बदलते दौर मे इंसान दिलसे कम और दिमाग से ज्यादा सोचता है कम्पटीशन मे ज्यादा ध्यान देता है रात और दिन मे बड़े आदमी के ख्वाब देखने चक्कर मे अपराध की दुनियां चुन लेता है आजकल हम देख रहे कि हमारी युवा पीढी हर तरह से समय से पहले बिगड़ रही है धूम्रपान से लेकर मदिरापान करने लगी है इसका असर इनपर ही नहीं पड़ता है समाज, परिवार, सरकार, और देश,तकपर भी पड़ता है यह सभ्य इंसानों से लेकर महिला इज्जत के भेड़िए बनकर समाज मे तांडव मचा रहे है रोटी,और आगे बढने के चक्कर मे हमारे दुश्मन बन रहे है, पर यह बात हमे भी नहीं भूलनी चाहये कि जिस देशका युवा ही बिगड़ रहा हो वह देश कैसे आगे बढेगा युवा ही देश का भविष्य है और सबसे बड़ी कमी शासन, और प्रशासन, की देखने को मिल रही कि धूम्रपान, और मदिरा जैसे रोजगार के लिये सभ्यता की बस्तियों मे जगह नहीं मिलनी चाहिये बैसे सरकार चीखती रह जाती हैकि मदरसों के आसपास यह दुकानें नहीं होनी चाहिये लेकिन प्रशासन, की अनदेखी और इनसे सांठगांठ के चलते सरकार के रूलों की खुलकर धज्जियां उड़ती रहती कुछ भी नहीं बदल रहा बस्तियों, और मदरसों के आसपास ही सबकुछ उपलब्ध हो रहा और क्या चाहिये आजकी युवा भटकी पीढी को पर कटु सत्य है समाज मे इन सब चीजों पर समय रहते अगर शासन, प्रशासन, ने ध्यान नहीं दिया तो सबका विकास, सबका साथ,मेरा आगे बड़ रहा है का नारा कभी नही फल फूल सकता है।
लेखिका, पत्रकार, दीप्ति चौहान।