बार एसोसिएशन एटा के चुनाव की उठापटक

बार एसोसिएशन एटा के चुनाव की उठापटक

एटा।कहा जाता है कि चुनाव कैसे भी हों लेकिन चुनने की कला आना ही चुनाव माना जाता है परन्तु बकील अपने आप में विद्वान माने जाते है। लेकिन जब इस खेमे में चुनाव होते है तो बड़े-बड़े राजनीति के धुरंधर भी इस खेल में हाथ डालने सें डर जाते है या फिर दूर खड़े तमाशा देखते रहते है।
अभी जनपद एटा के बार एसोसिएशन के चुनाव की सरगरमियाँ तेज हों चुकी है वही महीना भी अप्रेल हों गया है कि मौसमी गर्मी भी अपनी तलवार निकला कर हर किसी पर बार कर रहीं है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद की दौड़ में दो बड़े खिलाड़ी इस खेल में खुद चुके है। जिसमें एक अशोक सीकरवार एड. और रामनरेश मिश्रा शामिल है। बाक़ी पदों पर भी लगभग यहीं समीकरण मौजूद है जिससे वकील मतदाता बड़े चाव सें इस समय दावते उड़ा रहें है. क्योंकि चुनाव का आखिरी दाँव मतदान के दिन तय हों जाता है। जो इस खेल सें बाहर है वो जातियाँ इस चुनाव को और रोचक बनाये हुए है। वही दूसरा कारण यह भी है कि ठाकुर-पंडित के पेच में फस चूका है बार एसोसिएशन का चुनाव…..

एक तरफ अशोक सीकरवार एड के लिए वकीलों में जोश भरा हुआ है तो वही रामनरेश मिश्रा के लिए सम्मान भी मौजूद है।कुछ वोट ऐसा भी मौजूद है जिसे चुनाव लड़ाने और हराने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उसे बस वोट करना है… बाक़ी तुम जानो.. तुम्हारा काम!!!!

Sc और obc फेक्टर के अंदर की बात मानी जाये तो वोट अशोक सीकरवार एड.को आगे खड़ा करता दिखाई दे रहा है। वही मिश्रा को लड़ाने के पीछे के कारणों को देखे तो फिनिसिंग लाइन पर खड़ा कर दिया है.. बस ख़त्म करना बाक़ी रह गया है।

महासचिव के पद का गणित इस चुनाव का अहम् रोल बना रहा है। अगर ब्राह्मण वोटर आनंद प्रकाश की तरफ पलटा तब फिर अशोक सीकरवार को जीतना तय मान लिया जाये।ऐसा इसलिए नहीं कि बाक़ी सभी इस चुनाव को सिर्फ खड़े होकर देख भर रहें है। Sc वोटर महासचिव पद पर obc पद के लिए तो जा सकता है। लेकिन अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण प्रत्याशी के लिए मतदान शायद ना करें.. ऐसा भी हों सकता है।क्यूंकि Sc वोटर की ब्राह्मण प्रत्याशी सें प्रारम्भिक दौर सें ही बैचारिक मतभेद रहें है। ये मतदान के दौरान बड़े सें बड़े चुनाव में देखने को मिलता भी है।

एंटी कम्बेंसी को रोकना बहुत मुश्किल काम है और यह काम अध्यक्ष पद पर लड़ रहें रामनरेश मिश्रा नहीं कर पाएंगे….

महासचिव पद के प्रत्याशी आनंद प्रकाश पूरे चुनाव में कहीं भी मौजूद नहीं थे लेकिन अब जिसे भी लड़ना है आंनद प्रकाश सें ही लड़ना होगा… क्यूंकि निचले स्तर पर युवाओं का वोट एक तरफ जा सकता है.. जिसे रोकना दो दिन में बहुत मुश्किलों भरा है।Sc obc एक सीट पर एक मत होकर वोट करना ही आंनद प्रकाश के लिए प्लस पॉइंट है।

वही अशोक सीकरवार एड.के पिछले बर्ष के चुनाव हारने के बाद भी मैदान में आना भी अशोक सीकरवार के लिए वरदान साबित होने जा रहा है. ऐसा हम नहीं कह रहें है… ऐसा बार एसोसिएशन के बुजुर्ग व विद्धान मतदाता बोल रहें है कि एक बार तो अशोक का अध्यक्ष पद बनता है… बाक़ी मिश्रा जी फिर देख लेगे… अब इन बातो के क्या मायने निकाले जा सकते है.. मतदाताओं का मूड है….

गणित के खेल में गणित कभी फेल नहीं हुआ है क्योंकि मतदाता उसी गणित का बड़ा अंक साबित होता है जब वो अपने मत का प्रयोग करता है। और यह खेल अशोक सीकरवार को प्लस में रखने वाला है

बार एसोसिएशन के सभी सदस्य मतदान जरूर करें क्योंकि मतदान आवश्यक है.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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