22वें निरंकारी बाबा गुरुबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट का सफलतापूर्वक समापन

22वें निरंकारी बाबा गुरुबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट का सफलतापूर्वक समापन

एटा : संत निरंकारी मिशन की प्रमुख सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के निर्देशन में 22वां निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टुर्नामेंट का आयोजन किया गया।
मीडिया प्रतिनिधि अमित कुमार ने बताया कि इस प्रतियोगिता में देश भर के सभी राज्यों से 115 टीमों ने रजिस्ट्रेशन किया गया, जिनमें से मुख्यत: 48 टीमें चयनित हुई और सभी ने खेलों के माध्यम द्वारा महत्वपूर्ण अनुभवों एवं शिक्षाओं को ग्रहण किया।
क्रिकेट टुर्नामेंट के सेमी फाइनल चरण में मुम्बई-1, अमृतसर, रोहतक एवं मोहाली, चार राज्यों की टीमें चयनित हुई। अंतिम चरण (फाइनल राउॅड) की प्रतियोगिता मुम्बई-1 और अमृतसर के बीच हुई, जिसमें से मुम्बई-1 टीम ने विजेता ट्रॉफी प्राप्त की। क्रिकेट टुर्नामेंट में ‘मैन ऑफ द सिरिज का खिताब अरूण यादव (मुम्बई-1 टीम) के खिलाड़ी को मिला। इस मौके पर संत निरंकारी मण्डल के सचिव जोगिंदर सुखीजा, विनोद वोहरा, जोगिन्दर मनचंदा, नरेन्द्र सिंह, ओ पी निरंकारी ने विजेता टीम को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया।
संत निरंकारी मंडल की प्रमुख माता सुदीक्षा जी ने कहा कि सभी खिलाडिय़ों ने अपनी युवा ऊर्जा के साथ अनुशासन, मर्यादा एवं सहनशीलता का सुंदर परिचय दर्शाया, जिसकी वर्तमान समय में अति आवश्यकता है। आज जहां हर मनुष्य एक दूसरे को केवल पीड़ा ही पहुंचा रहा है और उसके अहित में ही लगा हुआ है। ऐसे समय में सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की दी गयी सिखलाईयों से प्रेरणा लेते हुए प्रेम एवं मिलवर्तन का ऐसा अद्भुत उदाहरण इस टुर्नामेंट में खिलाडिय़ों द्वारा प्रदर्शित किया गया। इस मैच के दौरान सभी खिलाडिय़ों में किसी प्रकार की कोई प्रतिस्पर्धा, द्वेष एवं एक दूसरे को हतोत्साहित करने की भावना नहीं दिखी अपितु उनमें केवल आपसी सौहाद्र्र एवं अमन ही देखने को मिला। सभी खिलाडिय़ों ने खेलों में अपना शानदार प्रदर्शन किया, जिसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन होने वाले मैच में उत्तम प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को ‘मैन ऑफ द मैच का खिताब देकर भी सम्मानित किया गया। सभी युवाओं के लिए प्रतिदिन सायं, सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा। जिसका उद्देश्य उन्हें शारिरिक रूप में स्वस्थ रखने के साथ-साथ आध्यात्मिक जागृति एवं मानसिक शांति प्रदान करना था।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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