एक्जिट पोल पांच मकसद के लिए होता है

8 मार्च 2022 एग्ज़िट पोल

एक्जिट पोल पांच मकसद के लिए होता है

1= पहला मकसद यह होता है‌ कि यह सीधे सीधे मतगणना में शामिल सरकारी अधिकारियों को दबाव में लेने के लिए होता है।

2 = दूसरा मकसद विपक्षी दलों के मतगणना एजेंटों पर एक पार्टी विशेष की जीत के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जाए और भाजपा समर्थक जेन्ट्स में ऊर्जा भरी जाए।

3= पिछले 100 एक्जिट पोल देख लीजिए , 99% में भाजपा को जीतते दिखाया गया हे। कभी कभी तुक्का भी लगा है।

3= तीसरा मकसद यह होता है कि मतगणना में किसी हेर फेर को करने के लिए जनता में किसी पार्टी विशेष की जीत का पहले से ही एक परसेप्शन बनाया जाए।

4= चौथा कारण होता है टोली चैनलों के ऐड स्लाट को मंहगे दर पर मोटी कमाई करना।

5= पांचवा और प्रमुख खेल है सट्टा बाजार को प्रभावित करना।

हर T-20 क्रिकेट मैच हो या अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय मैच , टीवी चैनलों पर पूर्व क्रिकेटर्स द्वारा कराई जाने वाली डिबेट हो या किसी टीम के जीत की इनके द्वारा जीत की बताई जाने वाली अधिक संभावना हो , यह सब सट्टा बाजार के भाव‌ को बढ़ाने और अधिक से अधिक लोगों द्वारा हार रही टीम पर सट्टा लगाने के लिए प्रेरित करने का खेल होता है।

एक्जिट पोल भी सट्टा बाजार के इसी खेल को उच्चतम स्तर पर ले जाने का एक वैसा ही टूल है।

सट्टा बाजार में बराबरी वाली टीमों का खेल अधिक लोगों द्वारा खेला जाता है और 100% हार रही टीम पर सट्टा लगाने वालों की संख्या बढ़ाने के लिए एक्जिट पोल या पूर्व खिलाड़ियों द्वारा डिबेट करा कर हार रही टीम के पक्ष में हवा बना कर उस टीम का भाव बढ़ाया जाता है।

सट्टा केवल इस बात पर नहीं लगता कि कौन सरकार बना रहा है या कौन सी टीम मैच जीत रही है
बल्कि सट्टा इस पर भी लगता है कि कोई टीम कितना रन बनाएगी , कोई पार्टी कितनी सीट जीतेगी , अमुक खिलाड़ी कितने विकेट लेगा या अमुक पार्टी कितने सीट जितेगी।

और ऐसे हर बिंदु का सट्टा बाजार में भाव चढ़ाने के लिए ही टीवी मिडिया पर डिबेट या एक्जिट पोल का खेल खेला जाता है।

कारण ? हारने वाली टीम का जितना अधिक भाव होगा , टीम के हारने पर सटोरियों को उतना अधिक फायदा होगा , इसी लिए हार रही टीम या पार्टी का टेम्पो टीवी मीडिया के ज़रिए बढ़ाया जाता है।

जैसे , कल 6 बजे तक , भाजपा का उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड और गोवा में भाव‌ उसके हारने की संभावना के कारण नि भवन स्तर पर था और इनकी जीत पर कोई कम भाव‌ पर भी पैसा लगाने को तैयार नहीं था , मगर कल रात 8 बजे आए एक्जिट पोल के बाद भाजपा का भाव चढ़ गया और भाजपा की जीत पर दांव लगाने वाले बढ़ गये।‌अब भाजपा इन प्रदेशों में हार गयी तो भाजपा की जीत पर दांव लगाने वालों का पैसा डूब जाएगा और फायदा होगा सट्टा खिलाने वालों का।

हैरानी की बात यह है कि उसी यशवंत देशमुख को अभी भी विश्वसनीय बताकर एक्जिट पोल परोसा जाता है और उन पर विश्वास भी लोग करते हैं।

कल ABP NEWS , पर अनुराग भदोरिया ने इन्हीं देशमुख से लाइव पूछ लिया कि आपके आजतक कितने एक्जिट पोल सही साबित हुए हैं तो देशमुख तिलमिला गए।

बंगाल के चुनाव में भी इसी खेल को खेलने के लिए ऐसी ही हवा भाजपा के पक्ष में बनाई गई और इस पर बहुत बड़ा खेला हुआ।

बंगाल के चुनाव में ओपीनियन पोल के ज़रिए भाजपा ने चुनाव से पहले ही अपना भाव बढ़ा रखा था और फिर मैनेज एग्ज़िट पोल ने उस भाव को और बढ़ा दिया। सटोरियों ने भाजपा के ऊंचे भाव खोले और भाजपा की पश्चिम बंगाल विधानसभा की जीत पर लोगों ने पैसे लगाए और डूब गये।

फायदा किसका हुआ ? सटोरियों का।

सट्टा बाज़ार पर किसका नियंत्रण है ?
गुजरातियों का

चौतरफा पैसा बनाते हैं।
और मुर्ख बनती है जनता।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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