आंधी बारिश से गेहूं की तेरह हजार हेक्टेअर फ़सल बर्बाद

आंधी बारिश से गेहूं की तेरह हजार हेक्टेअर फ़सल बर्बाद

एटा/सकीट/जैथरा- शुक्रवार रात चली आंधी और इसके बाद हुई बारिश किसानों के लिए आफत लेकर आई। गेहूं की फसल खेतों में बिछ गई। करीब 13 हजार हैक्टेयर क्षेत्र की फसल बर्बाद होने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा सरसों और आलू की फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। शुक्रवार रात के बाद शनिवार सुबह के समय भी रिमझिम बारिश हुई। जिसने किसानों की चिंता और बढ़ा दी।
शुक्रवार रात करीब साढ़े ग्यारह बजे तेज हवाएं चली। घरों के खिड़की दरवाजे बजने लगे। कुछ ही समय में हवाओं ने आंधी का रूप ले लिया। थोड़ी देर बाद तेज बारिश होने लगी। बिजली की तेज गड़गड़ाहट से सोते हुए लोग जाग उठे। करीब आधे घंटे तक बरसात होते रही। सुबह उठकर लोगों ने देखा तो गली-मोहल्ले व बाजारों में जगह-जगह जलभराव नजर आया। शनिवार सुबह करीब नौ बजे आसमान में काले बादल छा गए। फिर हल्की बारिश हुई जिससे लोगों को कार्यालय, दुकान आदि स्थानों पर पहुंचने में समस्या हुई।

ग्रामीण क्षेत्र में किसान चितिंत नजर आ रहे हैं। रात को तेज आंधी और बारिश से किसानों के खेत में लहलहाती गेहूं की फसल गिर गई और खेतों में पानी भर गया। जिला कृषि अधिकारी एमपी सिंह ने बताया कि इससे करीब 13 हजार हैक्टेयर गेहूं की फसल बर्बाद हुई है। वहीं जिन किसानों ने सरसों की फसल काटकर सुखाने के लिए खेत में छोड़ दी थी उन्हें भी नुकसान हुआ है। करीब पांच फीसदी किसानों को सरसों की खेती में नुकसान हुआ है। आलू की खोदाई का भी सीजन चल रहा है। जिन किसानों ने अभी तक खोदाई शुरू नहीं की है उन्हें भी नुकसान है। करीब तीन फीसदी आलू की फसल प्रभावित हो सकती है।
गेहूं की बाली पड़ सकती है पीली: वरिष्ठ प्राविधिक सहायक कृषि रक्षा त्रिबल सिंह ने बताया कि गेहूं के खेतों में अगर ज्यादा पानी भर गया है तो नीचे की पत्तियां पीली पड़ जाएंगी। इससे गेहूं का उत्पादन कम होगा। वहीं जिन खेतों में फसल गिर गई है, उसमें करीब 10 फीसदी का नुकसान होगा। सरसों की फसल अगर कट चुकी है तो उसमें नुकसान हो सकता है। सरसों का दाना काला पड़ जाएगा और खराब हो जाएगा। वहीं आलू की फसल में अगर पानी भर गया है तो फफूंद का रोग लग जाएगा जिससे आलू के सड़ने की आशंका होगी।
जैथरा में पेड़ गिरने से बचे लोग
जैथरा में शुक्रवार रात आंधी में पालीवाल की बगिया के रिहाइशी इलाके में अशोक का पेड़ टूटकर गिर गया। इस दौरान हलवाई कारीगर अपनी दुकान से घर जा रहे थे, जो बाल-बाल बच गए। कई दुकानों के बोर्ड, टिनशेड उड़कर एक दूसरे की छतों पर जा गिरे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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