एपीएसयू के तथाकथित प्रोफेसर का कारनामा, विभाग के लिए नया एसी खरीदा और घर का पुराना लगवा दिया,

एपीएसयू के तथाकथित प्रोफेसर का कारनामा, विभाग के लिए नया एसी खरीदा और घर का पुराना लगवा दिया,

सिस्टम एनालिशिष्ट से गलत तरीके से प्रोफेसर बने कटारें का कारनामा

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय अपने कारनामो को लेकर हमेसा में ही चर्चा में रहा है। कभी सिस्टम एनालिसिस्ट को प्रोफेसर बना दिया जाता है तो कभी रिटायर्ड डी आर को जूते की माला पहना दी जाती है। विवि में लगातार भर्रेशाही कायम है।सिस्टम एनालिसिस्ट से प्रोफेसर बनाये गये कम्प्यूटर विभाग के कर्ताधर्ता राकेश कटारे की मनमानी एक बार फिर सुर्खियों मे है। मामला विश्वविद्यालय के पैसे से खरीदे गए एयर कंडीशनर (एसी) को अपने घर में लगवाने का है। आरोप लगाया गया है कि बदले मे घर का पुराना, खराब एसी विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विभाग में रख दिया गया है। आरोपी प्राध्यापक ने करीब चार साल पहले यह कारनामा विश्वविद्यालय के ही अधिकारी-कर्मचारियों को भरोसे में लेकर की। इतने दिनों बाद अब मामले की शिकायत कुलपति से हुई है। शिकायत को कुलपति ने संज्ञान में लिया है ,लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
बताया गया कि विश्वविद्यालय भण्डार विभाग द्वारा कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के लिए 18 मई 2017 को तीन नग एसी मानस मार्केटिंग फर्म से खरीदे गए। उक्त तीन नग एसी का भुगतान देयक क्रमांक 148 के जरिये 3 जून 2017 को 1 लाख 71 हजार रूपये हुआ। ऐसे ही कम्प्यूटर विज्ञान विभाग हेतु सालभर के अंदर 10 अप्रैल 2018 को पुन: 4 नग एसी मानस मार्केटिंग से ही खरीदे गए। जिसका भुगतान देयक क्रमांक 16 में 24 अप्रैल 2018 को 3 लाख 21 हजार रूपये किया गया।

शिकायत में आरोप है कि उक्त सात नग ए सी में से छह नग ए सी ही कम्प्यूटर विज्ञान विभाग में लगे हैं, जबकि एक नग एसी तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो राकेश कटारे अपने घर ले गए।

मात्र एक एजेंसी से खरीदी

विश्वविद्यालय कोष से हुई इस खरीदी प्रक्रिया में भी गड़बड़ी हुई है। शिकायत में आरोप है कि बाजार दर से अधिक कीमत पर ए सी की खरीदी हुई। वहीं एक ही एजेंसी मानस मार्केटिंग या रमेश एजेंसी से सामग्री की खरीदी करना भी संदेह के दायरे में है। सामग्री व विभाग की स्टॉक पंजी का भौतिक सत्यापन कराकर मामले की जांच कराने की मांग शिकायत में की गई है।

उड़नदस्ता से भरते रहे फर्राटे

कुलपति को दी शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया है कि सत्र 2018-19 में परीक्षा हेतु बने उडऩदस्ता दल में प्रो कटारे को जगह दी गई थी। तब प्रो कटारे विश्वविद्यालय के वाहनों से जबलपुर और दिल्ली की सैर करते रहे।जिसके डीजल खर्च का बोझ विश्वविद्यालय कोष में डाल दिया। हालांकि इस मसले में डीजल भुगतान की कार्यवाही रुकी है। फिर भी इस कृत्य से शिक्षकीय पेशे की किरकिरी तो हो ही गई।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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