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एटा के पर्यटन स्थल अतरंजीखेड़ा पर मेले का आयोजन
ब्राह्मणों का वफर रियासत राजा च्रकवती वैन 56 खेड़ाओ की पौराणिक किदवंती ग्रामीण के अनुसार घुमा करती थी,

अंतरजी खेड़ा चक्रबती ब्राह्मण राजा वेन के आखिरी पीढ़ी अग्नि दत्त शर्मा थे,
पारस पत्थर/मड़ी आपके राजा के पास थी,
मै दानव की राजधानी मेरठ थी, मथुरा तक राक्षसो का समराज्य था, एटा की तरफ कभी हिम्मत जुटा कर बड़े तो 56 विनाशक मकड़ी के जाले की तरह था खेड़ा जिसमें से निकला मुस्किल था, जैसे अंतरजी खेड़ा, नू खेड़ा, भूमिया खेड़ा आदि
जब मैं दानव के दमाद रावण पर विजय प्राप्त के समीकरण पर चढाई नही कर पा रहे थे, तो राम ने महा देव भगवान शंकर की वालू की शिव लिंग स्थापित कर घोर तपस्या की तव महा देव भगवान शंकर ने राम से कहा मेरे प्रिय भगत रावण पर विजय प्राप्त के अंतरजी खेड़ा के चक्रबती राजा वैन से सहायता माँगो,
हनुमान जी अंतरजीखेड़ा आये,आज की भाषा में अन्तर्राष्ट्रीय बिज्ञानिक ब्राह्मण पुत्र चक्रबती राजा वैन ने अपनी मिशाल छोड़ी एक हिस्सा लंका का ध्वस्त हो गया था,
मेले लगा करते हैं, लेकिन ब्राह्मणों को अपने राजा के बारे में बहुत कम पता है
मुकदमा होने के बाद भी लग रहा मेला
धारा 144 व कोरोना गाइड लाइन की उड़ रही धज्जियाँ
बढ़ते संक्रमण को भीड़ दे रही चुनोती ,
संक्रमण दर बढ़ने की आशंका ।
रोक के बाद भी मेले का आयोजन ,
जुटी भीड़ से संक्रमणों के ग्राफ में तेजी के आसार
मेले की अनुमति का जबाब नहीं दे पा रहे प्रशानिक अधिकारी