उत्तर प्रदेश की राजनीति सहित अन्य राज्यों के चुनाव

सिर पर पांच राज्यों के चुनाव और कोख में बजट आनें वाला हो तब समझ लीजिये कि राजनीति के विषय में बड़े-बड़े विद्वानों नें सत्ता को सभी सुखो की चाभी क्यूँ कहा था। कल 1 फरवरी को देश का बजट आने वाला है और इन पांच राज्यों में चुनाव की सरगर्मी सिर चढ़ कर नृत्य कर रही है और शुरुआत में ही चुनाव में बजट आ रहा हो तो लाजिमी है कि जनता पर सीधा प्रभाव पड़ने वाला होगा.. तब कौन सरकार चाहेगी कि सत्ता से दूर चले जाए.. बड़ी घोषणाओ के साथ किसानों के जो सिर गर्म हैं उन्हें ठंडा भी करने का बजट आ सकता है। सीमांत किसानों को बढ़ा लाभ भी दिया जा सकता हैं,वही व्यापारियों को टेक्स में छुट भी मिल सकती है। अगर तय लेख अनुसार हुआ तो समझ जाना होगा कि बिपक्ष की जमीन केंद्र सरकार खींचने वाली है। अगर आप सोच रहें है कि यह सिर्फ पांच राज्यों का बजट है तो गलत हैं यह बजट देश का बजट है। डबल इंजन की सरकार नें अपने खजाने खोलने का मन बना लिया है क्यूंकि बंगाल चुनाव के दौरान केंद्र नें सोचा था कि सरकार बनाने कि स्थिति तो पैदा कर ही देंगे लेकिन गलत साबित हुए।ऐसा नहीं है कि सब कुछ अच्छा होने वाला ही बजट होगा,सम्भवतय कुछ लोगों के लिए यह बजट जेब पर सीधा असर डाल सकता है। गन्ना का रस बढ़ने वाला हो सकता है।वही नौकरियों की बम्पर भर्ती का रास्ता बजट से आनें वाला हो सकता है!किसानों के ट्यूवेल के बिल भी माफ़ साफ होने के रास्ते निकल सकते है!किसानों को जितना भी लाभ इस समय दिया जा सकता है दिया जायेगा ऐसा माना जा रहा हैं।वही गरीब किसानो की आपदा दुर्घटना में मरने पर राशि बढ़ सकती है!बहुत कुछ बदलने वाला है और पांच राज्यों के चुनावो के परिणाम बदलने वाला बजट हो सकता है।
फिर एक बजट और आएगा जो रही कसर दूर कर देगा उसका इंतज़ार कीजिए
उसके वाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के निवेदन पर चुनाव आयोग नें 7 फरवरी से 7 मार्च तक ओपिनियन पोल पर रोक लगा दी है। जिससे सभी चुप रहेंगे और शांति से चुनाव सम्पन्न हो जायेगा।
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