
फूलमती माता मंदिर में कैसे बैठा बहरूपिया भारत शुक्ला का पुत्र
एस डी एम साहब इनदिनों पूरा मैहर आपके न्याय की दुहाई दे रहा है मंदिर की तमाम व्यवस्थाओ को दुरुस्त करने का बीड़ा आपने उठा रखा है फिर आपके मंदिर प्रांगड़ में ये बहरूपिया भारत शुक्ला कैसे लूट मचाये है आपकी नजर इस लूट पर क्यो नही पड़ रही सोचनीय विषय है। सबसे बड़ा प्रश्न कि आखिर भारत शुक्ला किस अधिकार से उस मंदिर में बैठ दान एकत्र कर अपनी झोली में डाल रहा है यही नही यह भारत शुक्ला इस मंदिर को अपना खानदानी मन्दिर समझने लगा है पहले इसने बैठकर अपना ठीहा बनाया और अब यह अपने अपराधी पुत्र को वहां बैठा दिया क्या माँ शारदा का मंदिर अपराधियो की सरणस्थली बनेगा। सवाल यह भी की कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा पीतांबरी पहन लें और जहां मन पड़े वहां बैठ जाए और पुजारी बन जाय और माँ शारदा की आय में सेंधमारी करने लगे। निश्चित ही इस बात का आकलन एस डी एम महोदय को करना चाहिए की जब यह स्थान ठेके में था तो आय कितनी थी और जबसे भारत शुक्ला ने ठिकाने पर बेजा कब्जा किया तो आय क्या है। महोदय तत्काल प्रभाव से बंशानुगत परंपरा की भेंट चढ़ते इस स्थान को बेजा कब्जा धारी के चंगुल से मुक्त करा अपराधियो की सरणस्थली बने इस स्थान को समिति के आधीन ले ठेका पद्धति से एलाट किया जाय या लगी दान पेटी में ही इतना दान आ जायेगा जिससे समिति को आय होती रहेगी। देखना लाजमी होगा कि न्याय की प्रतिमूर्ति बने एस डी एम धर्मेन्द्र मिश्रा की नजर कबतक इस काले कारनामे में पड़ती है और इन्हें कब तक मे इन लुटेरो को बाहर का रास्ता दिखा कोई अन्य समिति के आधीन पुजारी को पूजा पाठ के लिए नियुक्त किया जाता है।