निष्पक्ष रहना हर किसी का दम नहीं

निष्पक्ष रहना हर किसी का दम नहीं
सत प्रतिशत मतदान करें अमर्यादित असंवैधानिक असामाजिक शब्दों का प्रयोग करने से बचें
एटा- विधानसभा चुनाव पूरे प्रदेश में अपने चरम पर है।ऐसे में तमाम राजनीतिक पार्टियाँ व राजनीतिक दल एक दूसरे पर राजनीतिक वार करते हैं। जिसमें उन्हें सामने वाले को परास्त करने का सपना नजर आता है। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी ही नहीं बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता भी अपने वक्तव्य में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हुए मिल जाएंगे जिन शब्दो को भारतीय संविधान, भारतीय समाज, और लोकतंत्र के अनुआई भी सहज स्वीकार नहीं करते हैं। ऐसे शब्दों से समाज संविधान और कानून की गरिमा तार-तार होती है।ऐसे शब्दों से यदि शीर्ष नेतृत्व के लोग परहेज नहीं करते हैं तो कम से कम मीडिया को अपना धर्म निभाना चाहिए।ऐसे शब्दों को मीडिया में कतई तूल न देने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। मीडिया का धर्म है ? प्रदेश के विकास, प्रदेश के सौहार्द, और अमन चैन को ध्यान में रखते हुए आगे आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता करते हुए अपने विचारों द्वारा समाज को नई दिशा देनी चाहिए। तमाम लोग विभिन्न शीर्ष नेताओं को विभिन्न प्रकार के कार्टून इत्यादि तरीका से सोशल मीडिया पर वायरल कर देते हैं।जो उस शीर्ष पदेन ब्यक्ति के बिपरीत होता है। मीडिया से जुड़े लोगों को चाहिए कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल कर समाज में नई दिशा दे।मुझे यह कहते हुए कतई संकोच नहीं है कि मीडिया समाज की दिशा और दशा तय करने के काम में अपनी अहम भूमिका निभाती है।ऐसे में चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी अधिकारियों के साथ तालमेल बनाते हुए ज्यादा से ज्यादा या शत प्रतिशत मतदान करने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए।साथ ही ऐसे शब्दों को कम से कम मीडिया में स्थान न दें जिससे समाज,संविधान, की गरमा तार-तार हो। लेकिन निष्पक्ष रहना हर किसी के बस का नहीं है।ऐसा इसलिए लिखा है कि प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है।वह इस चुनाव में मतदान करता है। जो व्यक्ति जिस दल के पक्ष में मतदान करता है भले ही वह निष्पक्ष रहे लेकिन उसके अंतर्मन में मतदान करने वाले दल के लिए एक विशेष प्रकार का लगाव होता है। इस बात पर यह ध्यान रखना चाहिए कि आपका लगाव सिर्फ आप तक ही सीमित रहें। समाज को यह कहने का मौका नहीं देना चाहिए कि आप अमुक दल को सपोर्ट कर रहे हैं। चुनाव प्रक्रिया में कार्यरत जितने भी लोग हैं उन्हें अपने को निष्पक्ष दिखाने के तरीके पर ध्यान देना चाहिए। अन्यथा जो भी चुनाव में कार्यरत व्यक्ति हैं चाहे वह प्रशासन हो अथवा चुनाव से संबंधित अधिकारी, कर्मचारी, हो एवं मीडिया ही क्यों न हो, उनके अंतर मन की बात पर समाज टिप्पणी करने लगे तो वही निष्पक्षता समाप्त हो जाती है। अतः मैं इस लेख के माध्यम से सभी कर्मचारियों एवं मीडिया के जनों से अपील करता हूँ कि निष्पक्ष भूमिका निभाने का कार्य करें।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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