उत्तर प्रदेश के बदलते राजनैतिक रूप को समझ लीजिये

उत्तर प्रदेश के बदलते राजनैतिक रूप को समझ लीजिये

स्वामी प्रसाद मौर्य नें उत्तर प्रदेश के चुनाव को अति पिछडो का चुनाव बना दिया हैँ यह कहना गलत नहीं होगा।जब कि बीजेपी पिछले तीन चुनाव हिन्दू-मुस्लिम के आधार को जड़वत बनाने का काम कर रही हैँ। पूर्वांचल से बुंदेलखंड क्षेत्र में एक बार फिर बीजेपी के लिए सबाल खड़े होंगे क्यूंकि राम मंदिर को हवा देने के सिवा कोई अन्य कार्य जनता को नहीं दिखाई पड़ता है। काशी के कोरिडोर से करीव-करीब 54 सीटों को साधने का प्रयास कितना फलिभूत होगा,यह तो बूथ पर गिरा वोट बताएगा।स्वामी प्रसाद मौर्य नें जिस तरह से परुशराम का फरसा और ठाकुर की सत्ता पर एक साथ आघात किया है यह मौर्या के लिए राजनैतिक आघातक भी हो सकता है तो मौर्या किंग मेकर भी हो सकता है फिलहाल तो इस समय वोटर के जहन में मौर्या के लिए स्वार्थी या मौकापरस्त जैसे शब्द भ्रमण कर रहें है।

15 जनवरी को जन्मदिन मना कर अपने कार्यकर्ताओ को जिन सधे हुए शब्दों से बसपा सुप्रीमो मायावती नें संकेत दिए हैँ बसपा का काडर वोट बहुत हद तक समझ गया है कि उसे कहा और किस रूप में वोट करना हैं। यूं तो बसपा का वोटर अपने वोट को बूथ तक ले जाने का तरीका जानता हैँ और वोट किसे करना है प्रदेश स्तर से जिले स्तर तक गठित कमेटीया तय करती है।कही ऐसा भी हो सकता है कि बसपा सुप्रीमो मायावती का एक सूत्रीय कार्यक्रम बन जाये जो कि पूर्व में दिए अपने बयान को दौहरा दें कि सपा को हराने के लिए बीजेपी को अपना वोट स्थानांतरित कर दें। फिर मौर्या या सपा की धरातल पर बुरी गत बन सकती है। क्यूंकि बसपा का दलित वोट बहुत ही प्रभाव डालने वाला साबित होगा। जो कि सत्ता स्थिरता की और ले जा सकता है।और यहीं अखिलेश यादव के लिए सिरदर्द साबित होगा।

एक जाति का बोलबाला क्यूँ रहता है उत्तर प्रदेश में

सत्ता एक जाति से नहीं बनती हैं यह सभी पार्टियों बखूबी जानती समझती हैँ लेकिन पिछले चालीस साल का ग्राफ उठा कर देखा जाये तो सत्ता में जिस समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष होता हैँ या मुख्यमंत्री बनता हैँ वही जाति जिले से लेकर मुख्यालय तक हावी रहती है।अच्छे बुरे सभी कामों में वही जाति बढ़-चढ़ कर पूरे कार्यकाल में रहती है और मलाई चाट कर दूर हो जाती हैँ। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जैसे ही प्रदेश की जनता को पता चला कि योगी ठाकुर समाज से हैँ उत्तर प्रदेश के ठाकुरो नें शराब से लेकर जुए और सट्टे के धंधों में गले तक उतर पर काली कमाई की। जिसे स्थानीय जिलों के विधायको नें वखूबी देखा भी और सहयोग भी किया।अगर इस संबध में किसी तरह से अन्य समाज के लोगों नें उतरने की कोशिश की तो या तो मुककदमे लिखें गए या फिर स्थानीय विधायको नें उन लोगों से दुरी बना ली थीं।अगर पूर्व की सरकारों के इतिहास देखे तो उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण समाज नें उत्तर प्रदेश की हर सरकार में मलाई खाई हैँ लेकिन 2017 से उत्तर प्रदेश में जिस तरह से ब्राह्मण विधायक हो या किसी संघठन से जुड़ा ब्राह्मण उसे ख़त्म करने का भी आरोप इस सरकार पर लगते रहें है। कहते भी है कि योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैधनाथ और खुद का भी ब्राह्मण समाज के बड़े और पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी से पुरानी दुश्मनी है।जो कि इस बार चुनाव में साफ-साफ नजर आने वाली हैँ।देखते है गोरखपुर विधानसभाओ में क्या होने वाला है?

मिडिल उत्तर प्रदेश में शराब और सट्टे चरम पर फले फुले…

उत्तर प्रदेश के एटा,आगरा,अलीगढ, कासगंज, हाथरस,फिरोजाबाद, बदायू, फरुखाबाद,तक शराब के दलालो नें अपने पैर इतने फैलाये कि अलीगढ में पचास लोगों की मौत पर भी दलाल नहीं रुके। जब इस की तय तक जांच की गई तो सरकार के ठाकुर ही निकल रहें थे। प्रदेश की सरकार में ठाकुर की इतनी गिरी मानसिकता पहले देखने को किसी शासन काल में नहीं मिली। कि शराब और सट्टे में उतरना पड़ा हो ।और यहीं कारण भी बना कि मौर्या जैसे लोगों नें इस पार्टी को अलबिदा कह कर जता दिया कि जातिवाद से ऊपर उठकर काम करना चाहते है. लेकिन सपा में यह हो पायेगा शायद यह समझने के लिए कुछ कहना समझाना आप पर छोड़ देते है।

खेल बदल जायेगा 30 जनवरी के बाद…

पांच राज्यों के चुनाव के साथ ही इस बर्ष का आंशिक बजट भी आ रहा है जो चुनाव के रंग को बदलने का प्रयास भी करेगा क्यूंकि केंद्र की सरकार के पास अभी भी तुरुप का पत्ता सधा हुआ रखा है। जिसके खुलने के बाद उत्तर प्रदेश का चुनाव एक तरफ होने की अधिक गुंजायस बन रही है। इधर किसानों के मन पर भी सरकार पेनी नजर रखे हुए है सम्भवतय किसानो की KCC पर भी चोट दी जा सकती है। चुंकि मौसम की मार नें भी किसानों की सांसे फुला दी हैँ. जिसे किसान भूल नहीं पा रहा है। दूसरा पक्ष एक और बदल सकता है कि RSS व बीजेपी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बदलने की हवा भी OBC के पक्ष में उड़ सकती हैं!इस समय प्रदेश में शायद ठण्ड की जितनी मार नहीं हैँ जितना चुनाव का पारा चढ़ रहा है। और यहीं वजह होंगी कि ठाकुर मुख्यमंत्री के ठिकाने के साथ- साथ मौर्या को भी ठिकाने ना लगा दिया जाये…..
इस समय बीजेपी +±+++है
तो SP ++—–++ है
वही बसपा —++++ है।

बागडोर अमित शाह के हाथ में

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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